प्राचीन पुष्टिमार्गीय श्री प्रेमनिधि मंदिर में मनाया गया रक्षा बंधन पर्व
आगरा। बहेन सुभद्रा राखी बांधत बल और श्री गोपाल कें, कनकथार अक्षतभर कुंकुम तिलक करत नंदलाल के….रक्षाबंधन के इस पदगान के साथ कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित प्राचीन पुष्टिमार्गीय श्री प्रेमनिधि मंदिर में रक्षाबंधन मनोरथ संपन्न हुआ।
पुरुषोत्तम मास के अवसर पर मंदिर में चल रहे उत्सव मनोरथ के अन्तर्गत रक्षाबंधन त्योहार मनाया गया था। चरण सेवक अन्नू बल्लू बुलियन थे। रक्षाबंधन पूर्णिमा को ध्यान में रखते हुए मंदिर को श्वेत घटाओं से श्रंगारित किया गया था। श्वेत हिंडोले में विराजित ठाकुर श्री श्याम बिहारी जी की श्वेत पोशाक और पुष्पों में छवि मोहित किये जा रही थी। प्रमुख सेवायत पंडित हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा पर सेवायत अपना जनेऊ बदल कर सेवा में जाते हैं, जोकि इस मनोरथ के लिए किया गया। पंडित सुनीत गोस्वामी ने बताया कि सुभद्राजी ने श्री ठाकोरजी को उसी तरह राखी बांधी है, जैसे भौतिक जगत में एक बहन अपने भाई को राखी बांधती है। जो लौकिक (सांसारिक) अभ्यास अलौकिक (संसार से बाहर) माना जाता है और जो अभ्यास भौतिक जगत में प्रसिद्ध है, उसका सम्बन्ध भगवत्स्वरूप से स्थापित होता है। यहां तक कि भौतिक जगत में प्रसिद्ध उत्सव भोग को भी भगवान को खूबसूरती से अर्पित करना चाहिए और सोचना चाहिए कि हमारा जन्म सफल हो गया। पंडित दिनेश पचौरी ने बताया कि श्री महाप्रभुजी का मार्ग शाश्वत भावनाओं से परिपूर्ण है इसलिए यदि व्रजभक्त भाव से और पूर्ण शरण भाव से श्री महाप्रभुजी और श्री गुसांईजी की सेवा की जाए तो वह फलरूप होती है और लीला का अलौकिक अनुभव भी होता है। इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। उत्सव मनोरथ का आनंद श्रद्धाुलओं ने भजन एवं प्रसादी के साथ लिया। पंडित आशीष बल्लभ पचौरी ने बताया कि 1 अगस्त को शरद पूर्णिमा उत्सव मनोरथ मनाया जाएगा।