जीवन शैली

मित्रता का पर्याय है भागवत में सुदामा चरित्र, जिसने जान लिया उसने मित्रता का भाव मान लियाः दिनेश दीक्षित

मित्रता दिवस पर सुदामा चरित्र सुन भाव विभाेर हुए श्रीमद् भागवत कथा में श्रद्धालु
मदिया कटरा स्थित श्री हनुमान मंदिर में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा का समापन

आगरा। हनुमान मंदिर, मदिया कटरा में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के समापन पर कथा व्यास पंडित दिनेश दीक्षित ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने मित्रता दिवस की प्रासंगिकता पर श्रीकृष्ण− सुदामा की मित्रता को आदर्श बताया। कहा कि मित्रता में धन, संपत्ति या स्वार्थ नहीं अपितु समर्पण, समझ और प्रेम का वास होता है। उन्होंने कथा प्रसंग कहते हुए विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना, सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की। पूर्णाहुति एवं प्रसादी के साथ कथा का समापन हुआ। मुख्य यजमान शीला बहल और मनीष बहल थे। किरन शर्मा, वंदना सिंह, संगीता मल्होत्रा, कंचन सिंह, विमला देवी, पूनम बंसल, मोनिका कपूर, रीतिका कपूर, नीता टंडन, राकेश टंडन, रेखा मल्होत्रा, नीलू टंडन, उषा कक्कड़, सुमन मिश्रा आदि उपस्थित रहीं।