ईद मिलाद-उल-नबी के मौके पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की अपील की गई।
लुधियाना (मज़हर): लुधियाना में पंजाब प्रांत के ऑल इंडिया उलेमा व मशाऐख बोर्ड की बैठक आमंत्रण पैलेस गिल रोड में आयोजित की गई।
इस बैठक में विशेष अतिथि के तौर पर आये ऑल इंडिया उलेमा व मशाऐख बोर्ड दिल्ली के मौलाना अजीम अशरफ कैंपस कोऑर्डिनेटर ऑल इंडिया मशाऐख बोर्ड ने कहा की शिक्षा समाज की प्रगति का सबसे अहम और बुनियादी जरिया है जो जातियाँ शिक्षा हासिल करती हैं और विज्ञान और तकनीक के मैदान में अपने कदम आगे बढ़ाते हुए नए ज्ञान की रोशनी से भरपूर फायदा उठाती हैं वही प्रगति के मार्ग पर चलती हैं और जो जातियाँ शिक्षा से दूर हो जाती हैं वह प्रगति की राह में भी पिछड़ जाती हैं यानी शिक्षा के बगैर कोई भी समाज प्रगति नहीं कर सकता। इतिहास गवाह है कि शिक्षित समुदायों ने हमेशा तरक़्क़ी की है। किसी भी व्यक्ति के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए शिक्षा अनिवार्य है। दुःख की बात यह है कि जहाँ विभिन्न समुदाय शिक्षा को विशेष महत्व दे रहे हैं, वहीं मुस्लिम समाज इस मामले में आज भी बेहद पिछड़ा हुआ है।
ऑल इंडिया उलेमा व मशाऐख बोर्ड के महासचिव मुहम्मद सिराज अहमद ने कहा कि पंजाब में यदि कोई समस्या हो तो इसकी सूचना प्रांतीय अध्यक्ष या अधिकारियों को देनी चाहिए, ताकि उसे ठीक किया जा सके।
मौलाना कुतुबुद्दीन कादरी अशरफी ने कहा कि इस्लाम का दूसरा नाम प्यार है, इसलिए हमें आपसी नाराजगी मिटाकर प्यार को आम बनाना चाहिए।
अंत में बोर्ड के पंजाब प्रांत के अध्यक्ष मौलाना रमजान अशरफी ने कहा कि हमने बैतुल-माल की स्थापना की है। अब उनके नेतृत्व में बोर्ड के बैनर तले देश हित का काम किया जायेगा। वहीं ईद मिलाद-उल-नबी की छुट्टी के लिए पंजाब सरकार को एक प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे और अनुरोध करेंगे कि इस दिन पूरे पंजाब में हर वर्ग की आधिकारिक छुट्टी की जाए। उन्होंने आगे कहा कि मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए पंजाब वक्फ बोर्ड के प्रशासक / एडीजीपी पंजाब फैयाज अहमद फारूकी से मिलेंगे और उन्हें समस्याओं से अवगत कराएंगे।
प्रोग्राम को कारी मोहम्मद सलीम, मास्टर नवाब, मौलाना रमजान, हाफिज मोहम्मद गुलाम मुस्तफा, अशरफ, मौलाना मोहम्मद नियाज, हाफिज मकबूल अशरफ, मौलाना रईस अशरफी, मोहम्मद हबीब, मौलाना शफीक अशरफी व अन्य ने संबोधित किया।
इस अवसर पर मौलाना मौला बख्श, अत्ता मुहम्मद, मुहम्मद रफीक सदर बठिंडा, कासिम साहब सदर फरीद कोट, मौलाना हसीबुर रहमान, शमीम बुखारी, हाफिज शब्बीर, चमन कादरी, शाहिद कादरी, नौशाद कादरी, हाफिज इरफान रजा, मौलाना मजहर अशरफी, सरवर, हाफिज मुजीब व सरपंज शेर खां आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।