जीवन शैली

शिव− सती प्रसंग सुन भाव विभाेर हुए भक्त, कथा व्यास ने दी सीख, आदर के साथ पति के वचनों का पालन आवश्यक

माथुर वैश्य केंद्रीय महिला मंडल द्वारा किया जा रहा है महाशिवपुराण कथा का आयोजन
यजमान पूजन के साथ कथा व्यास श्याम सुंदर पाठक ने आरंभ किया तृतीय दिवस का कथा प्रसंग
पर्यावरण का संरक्षण का संदेश देते हुए कथा स्थल पर प्लास्टिक का प्रयोग है निषेध

आगरा। पति का जितना आदर पत्नी द्वारा किया जाता है यदि उसके वचनों का भी अंशमात्र पत्नी पालन कर ले तो पारिवारिक शांति और प्रेम बना रहता है। यही सीख देता है शिव− सती का प्रसंग। महिलाओं को गृहस्थी की सीख देते हुए कथा व्यास पंडित श्याम सुंदर पाठक ने महाशिवपुराण कथा में सती चरित्र का वर्णन किया।
पचकुइयां स्थित माथुर वैश्य सभागार में माथुर वैश्य केंद्रीय महिला मंडल द्वारा महाशिवपुराण कथा का आयोजन किया गया है। तृतीय दिवस के यजमान हेमलता− रमा शंकर, शैल− प्रदीप कोठिया, ऊषा− शिवकुमार गुप्ता, लक्ष्मी− प्रमोद गुप्ता, भारतीय− जगदीश गुप्ता, राजकुमारी− डॉ केपी गुप्ता और स्नेह− मनोज सर्राफ थे। यजमान पूजन के बाद प्रश्नोत्तरी सत्र में ज्ञानवर्धन प्रश्न महिलाओं से पूछे गए। सती चरित्र वर्णन में कथा व्यास ने कहा कि भगवान शिव कैलाश में दिन-रात राम-राम कहा करते थे। सती के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हो उठी। उन्होंने अवसर पाकर भगवान शिव से प्रश्न किया, ‘आप राम-राम क्यों कहते हैं? राम कौन हैं?’ भगवान शिव ने उत्तर दिया, ‘राम आदि पुरुष हैं, स्वयंभू हैं, मेरे आराध्य हैं। सगुण भी हैं, निर्गुण भी हैं।’ किंतु सती के कंठ के नीचे बात उतरी नहीं। वे सोचने लगीं, अयोध्या के नृपति दशरथ के पुत्र राम आदि पुरुष के अवतार कैसे हो सकते हैं? वे तो आजकल अपनी पत्नी सीता के वियोग में दंडक वन में उन्मत्तों की भांति विचरण कर रहे हैं। वृक्ष और लताओं से उनका पता पूछते फिर रहे हैं। यदि वे आदि पुरुष के अवतार होते, तो क्या इस प्रकार आचरण करते? सती के मन में राम की परीक्षा लेने का विचार उत्पन्न हुआ। सीता का रूप धारण करके दंडक वन में जा पहुंची और राम के सामने प्रकट हुईं। भगवान राम ने सती को सीता के रूप में देखकर कहा, ‘माता, आप एकाकी यहां वन में कहां घूम रही हैं? बाबा विश्वनाथ कहां हैं?’ राम का प्रश्न सुनकर सती से कुछ उत्तर देते न बना। वे अदृश्य हो गई और मन ही मन पश्चाताप करने लगीं कि उन्होंने व्यर्थ ही राम पर संदेह किया। राम सचमुच आदि पुरुष के अवतार हैं। सती जब लौटकर कैलाश गईं, तो भगवान शिव ने उन्हें आते देख कहा, ‘सती, तुमने सीता के रूप में राम की परीक्षा लेकर अच्छा नहीं किया। सीता मेरी आराध्या हैं। अब तुम मेरी अर्धांगिनी कैसे रह सकती हो! इस जन्म में हम और तुम पति और पत्नी के रूप में नहीं मिल सकते।’ शिव जी का कथन सुनकर सती अत्यधिक दुखी हुईं, पर अब क्या हो सकता था। शिव जी के मुख से निकली हुई बात असत्य कैसे हो सकती थी? शिव जी समाधिस्थ हो गए। यह प्रसंग सुन श्रोता भाव विभाेर हो उठे। इसके अलावा कथा में कुबेर प्रसंग, नारद तपस्या लीला प्रसंग हुए। तृतीय दिवस का समापन बमरौली कटारा सेविका दल द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रस्तुति एवं नारी शक्ति सम्मान के साथ हुआ।

कथा स्थल पर पॉलिथिन निषेध और चरण पादुका स्थल बना है अलग से
केंद्रीय महिला मंडल अध्यक्ष दीपिका डा. प्रवीन गुप्ता ने बताया कि महाशिवपुराण कथा आयोजन में प्लास्टिक पॉलीथिन का प्रवेश पूर्ण रूप से निषेध है। यदि कोइ पॉलीथिन अपने साथ लेकर आता है तो वो गेट के बाहर ही जमा कर ली जाती है। वहीं चरण पादुका व्यवस्थित रखने के लिए अलग से एक गृह की व्यवस्था की गयी है। मिट्टी के घड़े, गंगा सागर में पानी की व्यवस्था है। पर्यावरण का संदेश देने के लिए सेल्फी पॉइंट भी बनाया गया है।

इन्होंने संभाली व्यवस्था
कार्यक्रम में माथुर वैश्य महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशाेक गुप्ता, केंद्रीय युवादल अध्यक्ष आकांश मैरोठिया, सुनील गुप्ता, डॉ मधुरिमा दिनेश, कमलेश अशोक, शशि, नीलम, शाेभा, शालिनी, कमलेश, रीता, गीता, अनीता, राधा, कंचन, अवनीश, रूपम, अनीता, कामना, नीरा, शालिनी, आगरा मंडल अध्यक्ष अशाेक कुमार, विनोद कुमार, अचल कुमार, श्रीभगवान रैपुरिया, बाबू रोशन लाल आदि व्यवस्था संभाल रहे हैं।