शिव महापुराण कथा में सुनाया तुलसी जालंधर का प्रसंग, श्रोताओं ने भक्ति रस का लिया आनंद
माथुर वैश्य केंद्रीय महिला मंडल द्वारा किया जा रहा है महाशिवपुराण कथा का आयोजन
पर्यावरण का संरक्षण का संदेश देते हुए कथा स्थल पर प्लास्टिक का प्रयोग है निषेध
आगरा। पति के प्रति अथाह भक्ति और विश्वास होना चाहिए किंतु यदि पति गलत राह पर चल रहा है तो उसे सही मार्ग दिखाना भी पत्नी का ही धर्म है। यह बड़ी सीख देता है जलंधर− तुलसी कथा प्रसंग। कथा व्यास पंडित श्याम सुंदर पाठक ने शिव महापुराण के छठवें दिन भक्ति, साधना से युक्त तुलसी जलंधर प्रसंग का वर्णन किया।
पचकुइयां स्थित माथुर वैश्य सभागार में माथुर वैश्य केंद्रीय महिला मंडल द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा में तुलसी जलंधर प्रसंग हुआ। छठवें दिन के यजमान शारदा− सत्यप्रकाश, मनीषा− मुकेश गुप्ता,
संध्या− रामनारायण गुप्ता, सुमन− अनिल गुप्ता,
प्रीति− गोविंद मथुरिया, कीर्ति− मधुसूदन गुप्ता,
बबीता− शंकर गुप्ता और सुनीता− वीरेंद्र गुप्ता थे। प्रसाद वितरण आशा− विनोद सरार्फ और संगीता− अचल द्वारा किया गया। कथा व्यास पंडित श्याम सुंदर पाठक ने कहा कि पूर्व जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था और वह जालंधर नामक राक्षस की पत्नी थी। जालंधर भगवान शिव का ही अंश था लेकिन बुरे कर्माें के कारण उसका जन्म राक्षस कुल में हुआ। जालंधर को स्वंय पर बहुत घमंड था और वह इसी के चलते वह लोगों पर बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार करने के बावजूद कोई भी उसका वध करने का साहस नहीं कर पाता था और यदि कोई साहस करता भी था और उसकी हत्या नहीं हो पाती थी, क्योंकि उसकी पत्नी वृंदा एक पतिव्रता पत्नी थी और इसी वजह से उसकी पति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाता था। ऐसे में जालंधर की मौत के लिए उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म नष्ट होना बेहद जरूरी था। इसलिए लोगों को अत्याचार से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप लेकर वृंदा का पतिव्रता धर्म तोड़ दिया। जिसके बाद युद्ध के दौरान भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया। इसके बाद वृंदा ने स्वंय का आत्मदाह किया और जहां उनका आत्मदाह हुआ वहां तुलसी का पौधा उग गया। इसलिए वृंदा के श्राप की वजह से ही भगवान शिव को तुलसी अर्पित नहीं की जाती। कथा प्रसंग के बाद राजस्थान महिला मंडल की सदस्याओं ने गणगौर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।
14 को होगी हरियाली क्वीन प्रतियोगता
केंद्रीय महिला मंडल अध्यक्ष दीपिका डॉ प्रवीन गुप्ता ने बताया कि कथा आयोजन के बाद 14 अगस्त को माथुर वैश्य महासभा भवन पर सायं चार बजे से हरियाली तीज क्वीन प्रतियोगिता होगी। 15 अगस्त को झंडारोहण कार्यक्रम सुबह 11 बजे से किया जाएगा।
ये रहे उपस्थित
माथुर वैश्य महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशाेक गुप्ता, केंद्रीय युवादल अध्यक्ष आकांश मैरोठिया, सुनील गुप्ता, डॉ मधुरिमा दिनेश, कमलेश अशोक, शशि, नीलम, शाेभा, शालिनी, कमलेश, रीता, गीता, अनीता, राधा, कंचन, अवनीश, रूपम, अनीता, कामना, नीरा, शालिनी, आगरा मंडल अध्यक्ष अशाेक कुमार, विनोद कुमार, अचल कुमार, श्रीभगवान रैपुरिया, बाबू रोशन लाल आदि व्यवस्था संभाल रहे हैं।