- श्री प्रेमनिधि मंदिर में मनाया गया शिवरात्रि उत्सव
आगरा। सृष्टि के परम वैष्णव भगवान शिव का स्वरुप धर जब ठाकुर श्याम बिहारी जी ने भक्तों को दर्शन दिए तो भक्त जय श्री कृष्ण संग जय भोले की जयजयकर कर उठे। बाघंबर ओढ़े ठाकुर जी ने बांसुरी की जगह त्रिशूल और डमरू धारण किया हुआ था।
कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित श्री प्रेमनिधि मंदिर में ठाकुर श्याम बिहारी जी की सेवा में चल रहे पुरुषाेत्तम मास के अन्तर्गत शिव रात्रि उत्सव मनाया गया। चरण सेवक मनीष धाकड़ थे।
मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी ने बताया कि श्रीमद्भागवत में भी लिखा है- “वैष्णवानाम् यथा शम्भू” अर्थात वैष्णव शम्भू अर्थात शिवजी जैसा होना चाहिए कि सदा प्रभु की भक्ति में लीन रहे। सुनीत गोस्वामी ने बताया कि श्रीमद्वल्लभाचार्य जी आज्ञा करते हैं कि श्री महादेवजी की निंदा करना वैष्णव की निंदा करने के समान है और वैष्णव की निंदा से प्रभु अप्रसन्न होते हैं।
दिनेश पचौरी ने बताया कि ठाकुरजी न केवल जोगी का रुप धरते हैं अपितु वैष्णवों से शिव मैं ही हूँ ऐसा भी कहते हैं। इसका अर्थ है शिवजी नहीं हैं, स्वयं श्री ठाकुरजी हैं शिव के रूप हैं। यह एक तथ्य है वहीँ दूसरा यह भी है जो श्रीवल्लभ ने अपने ग्रन्थ सिद्धांत मुक्तावली में कहा है- “अक्षरब्रह्म में स्थित श्रीकृष्ण ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि देवों का रुप होकर उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय आदि जगत् के कार्य करते हैं। शिव विवाह के पदों पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया।