कोरोना काल में बोर्ड जारी किए थे बिना अंकों के अंकपत्र
दमदार पैरवी से मिली सफलता
20 सितंबर से पहले स्कूलों को भेजने होंगे अंक
बोर्ड जारी करेगा 15 नवम्बर तक अंकपत्र
आगरा। कोविड काल में यूपी बोर्ड द्वारा सत्र 2020-2021 में हाईस्कूल के विद्यार्थियों को बिना अंकों की मार्कशीट जारी करके प्रमोट कर दिया गया था। विद्यार्थी कोरी मार्कशीट लेकर भटक रहे थे। ये उनके किसी काम की नहीं थीं। इंटर पास होने के बाद भी उनको संस्थानों में दाखिला नहीं मिल पा रहा था। अब उन विद्यार्थियों के लिए राहत भरी खबर है। चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट की दमदार पैरवी के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छात्रहित में फैसला दिया है। जिसमें स्कूल तथा बोर्ड को आदेश जारी किए विद्यार्थियों को अंक दिए जाएं। स्कूलों को अंक मैनुअली रूप से बोर्ड को भेजने होंगे।
ये है हाईकोर्ट का फैसला
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बच्चों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सभी बच्चे नाबालिग थे इसलिए सभी की पैरवी उन्होंने की। नौ माह चले इस केस में न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए कहा कि विद्यार्थियों ने जिन संस्थानों से हाईस्कूल में अध्यन किया है उन्हें बीस सितंबर से पहले अधिसूचित अंक अपलोडिंग करने की व्यवस्था का कड़ाई से पालन किया जाए। विद्यालयों को हाईस्कूल की प्री-बोर्ड परीक्षा तथा 9वीं कक्षा के आधार पर परीक्षण सैद्धांतिक और व्यवहारिक/परियोजना कार्य के संबंध में क्रमशः 70 और 30 में से अंकों को स्पष्ट रूप से विभाजित करके बोर्ड को भेजने होंगे। संस्थानों को उपरोक्त अवधि के भीतर प्रतिवादी बोर्ड के सचिव के समक्ष उपरोक्त डाटा मैन्युअल रूप से उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं।
साथ ही बोर्ड को निर्देशित किया गया है कि बोर्ड वही तंत्र अपनाएगा और लागू करेगा जो उसने 20.06.2021 दिनांकित शासनादेश के अनुसार अंगीकार एवं लागू किया था। संशोधित सूची के आधार पर अंकों की गणना और अंक प्रदान करेगा। यह प्रक्रिया बोर्ड द्वारा 15.11.2023 को या उससे पहले की जाए क्योकि इसमें शामिल छात्रों के शैक्षणिक कैरियर बचाने का मुद्दा है। बोर्ड अंक देने केी अपनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद दिनांक 20.06.2021 को जारी जारी सरकारी आदेश के अनुसार बोर्ड संशोधित अंकपत्र, अंक एवं प्रतिशत अंकित जारी करेगा जैसा कि उसने अन्य संस्थानों के बच्चों के संबंध में किया था।
छह अधिवक्ताओं ने रखा पक्ष
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान विद्यार्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन चंद पाल के निर्देशन में योगेश कुमार, विकास भारती, देवरिषी कुमार राय तथा अक्षय गुप्ता आदि अधिवक्ताओं ने न्यायालय में विद्यार्थियों का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम ने नरेश पारस भी मौजूद रहे।
मिशन मार्कशीट आंदोलन फ्लैशबैक
कोरी मार्कशीट में नंबर देने की मांग को लेकर विद्यार्थियों बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस की अगुवाई में लंबा आंदोलन किया था। जिसके तहत डीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, जिला विद्यालय निरीक्षक, सांसद एसपी सिंह बघेल, विधायक धर्मपाल सिंह, पुरूषोत्तम खंडेलवाल, महापौर नवीन जैन, महिला बाल विकास मंत्री बेबीरानी मौर्य आदि को ज्ञापन सौंपे। शहीद स्मारक तथा ताजमहल के पार्श्व में प्रदर्शन किया। कैंडल मार्च निकाला। हस्ताक्षर अभियान चलाया। जिला मुख्यालय पर अंकों की भीख मांगी। कुछ विद्यार्थी मुख्यमंत्री सभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अंक मांगने पहुंचे थे। जिन्हें भाजपाईयों तथा पुलिस ने पीटा था। हिरासत में भी लिया था। विद्यार्थी अपने अभिभावकों के साथ मुख्यमंत्री दरबार लखनऊ भी गए थे। महिला आयोग और बाल आयोग ने भी पत्र जारी किए। अंत में हाईकोर्ट से उन्हें न्याय मिला।
आरटीआई से निकली राह
बोर्ड का कहना था कि स्कूलों ने अंक नहीं भेजे हैं। स्कूल का कहना था कि उन्होंने अंक भेजे हैं। फिर आखिर अंक गए कहां। इसकी सच्चाई जानने के लिए नरेश पारस के मार्गदर्शन में विद्यार्थी आरटीआई की अर्जी देने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पहुंचे थे। जहां जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार ने पुलिस बुलाने की धमकी देकर भगा दिया था। जेडी के हस्तक्षेप पर आरटीआई अर्जी ली गई। जिसके बाद स्कूल द्वारा बोर्ड को भेजे अंक बच्चों को मिले। वहीं कोर्ट में न्याय का आधार बने।