संभल,। सुप्रीम कोर्ट संविधान का अभिरक्षक है। उसकी ज़िम्मेदारी संविधान की रक्षा की गारंटी करना है। पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय द्वारा संविधान विरोधी विचार व्यक्त करने पर सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। ऐसा न होने की स्थिति में जनता में यह संदेश जायेगा कि न्यायपालिका भी संविधान बदलने के उनके विचार से सहमत है। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 110 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार संविधान को बदलने की मंशा से काम कर रही है। भाजपा सरकार में मंत्री रहे अनंत हेगड़े तो खुलेआम कह चुके हैं कि भाजपा सत्ता में आई ही संविधान बदलने के लिए है। अब पीएम के आर्थिक सलाहकार भी यही बोल रहे हैं लेकिन आश्चर्य की बात है कि संविधान की अभिरक्षक सुप्रीम कोर्ट ने भी इसपर स्वतः संज्ञान नहीं लिया। जबकि उसे पीएमओ को नोटिस भेजना चाहिए था। जिससे जनता में यह संदेश जाता कि न्यायपालिका ऐसी किसी भी साज़िश के प्रति सचेत है।
उन्होंने कहा कि यह तथ्य भी जनता के संज्ञान में होना चाहिए कि जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल ने भी सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि हमारे संविधान की प्रस्तावना से सेकुलर शब्द हटा देना चाहिए। उनका यह बयान संविधान की मूल भावना के विरुद्ध था लेकिन अल्पस्यंखक कांग्रेस द्वारा हर ज़िले से ज्ञापन भेजे जाने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ़ कोई कार्यवाई नहीं की। उल्टे वे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त कर दिए गए।