उत्तर प्रदेश

फोर्टिस नोएडा के डॉक्टरों ने सड़क दुर्घटना में सांस की नली को पहुंची गंभीर क्षति से घायल 17 वर्षीय युवक का जीवन बचाया

संवाद – सादिक जलाल (8800785167 )

सांस की नली से ऑक्सीजन के लीक होने की समस्या को ठीक किया गया और जब मरीज़ ईसीएमओ पर थे तब उसे बंद किया गया

नोएडा: फोर्टिस नोएडा के डॉक्टरों ने सड़क दुर्घटना में घायल हुए एक 17 वर्षीय पीड़ित का जीवन बचाया जिनकी सांस की नली में गंभीर चोट आ गई थी। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अनुभवी डॉक्टरों की टीम में डॉ. मृणाल सरकार, डायरेक्टर, पल्मोनलॉजी एंड क्रिटिकल केयर, डॉ. शुभम गर्ग, सीनियर कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. अजय कौल, चेयरमैन, कार्डिएक साइंसेज़, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा और डॉ. अनुतम राय, निदेशक, एनेसथिसिया, फोर्टिस हॉस्पिटल शामिल रहे। इस टीम ने पूरे मामले के बारे में जानकारी हासिल की और सफल सर्जरी की जो साढ़े चार घंटे से भी ज़्यादा समय तक चली। मरीज़ को भर्ती किए जाने 9 दिनों के भीतर स्थिर स्थिति में डिस्चार्ज भी कर दिया गया।

मरीज़ की दुर्घटना मेरठ में हुई थी जब वह अपने दोपहिया वाहन पर जा रहे थे और नीलगाय से टकरा गए। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और गर्दन के आसपास गंभीर चोटें आई थीं। मरीज़ इसी स्थिति में पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उनकी ट्रेकियोस्टॉमी की गई जहां उनकी गर्दन में जगह बनाकर सांस की नली में ट्यूब डाला गया जिससे उन्हें सांस लेने में मदद मिली। इसके तुरंत बाद अस्पताल ने मरीज़ को फोर्टिस नोएडा के लिए रेफर कर दिया। फोर्टिस नोएडा में भर्ती किए जाने के बाद मरीज़ को आईसीयू में शिफ्ट किया गया जहां उनकी छाती के सीटी स्कैन से उनकी कॉलर बोन की हड्डी टूटने, दाएं फेफड़े के पूरी तरह खराब हो जाने और छाती में दाईं ओर हवा भर जाने की बात पता चली। मरीज़ के फेफड़ों और हवा निकलने के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए ब्रॉन्कोस्कोपी की गई जिससे पता चला कि सांस की नली की दाईं दीवार में अंतर आ गया है और सांस लेने में मिलने वाली लगभग आधी हवा लीक हो जा रही थी।

मामले की जानकारी देते हुए डॉ. मृणाल सरकार, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर, फोर्टिस नोएडा ने कहा, “यह मामला बहुत ही गंभीर था और इसमें तत्काल चिकित्सकीय उपाय की ज़रूरत था। शुरुआत में वेंटिलेटर पर भी उनकी देखभाल करना मुश्किल हो रहा था क्योंकि ज़्यादातर ऑक्सीजन सांस की नली से और छाती के रास्ते निकल जा रही थी। जब मरीज़ वेंटिलेटर पर थे, तभी उनकी ब्रॉन्कोस्कोपी की गई जिससे पता चला कि ट्रेशिया की दाईं ओर एक छोटा सा छिद्र था जिसके लिए सर्जरी करना ज़रूरी था। इसलिए हमने मरीज़ की सांस की नली से ऑक्सीजन की लीकेज को रोकने और उसे ठीक करने का फैसला किया।”

डॉ. शुभम गर्ग, सीनियर कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा ने कहा, “यह एक मुश्किल