जीवन शैली

इस्लामी तहज़ीब और हम! मुहम्मद इक़बाल

आगरा। सिकंदरा स्थित नहर वाली मस्जिद के ख़तीब व इमाम जुमा मुहम्मद इक़बाल ने ख़ुत्बा ए जुमा में अपने खिताब में कहा कि आज का ख़ुत्बा इस्लामी तहज़ीब के बारे में है। हम सबको इस तरफ़ ख़ासतौर पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि हम कौनसी तहज़ीब में जी रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम आहिस्ता-आहिस्ता इस्लाम से दूर हो रहे हों। ये बहुत ही ख़तरनाक रुझान है इसलिए आज जागना बहुत ज़रूरी है। हमारे मुस्लिम बच्चे-बच्चियाँ ग़ैर इस्लामी रहन-सहन की तरफ़ बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं और हम लापरवाही में जी रहे हैं। फिर जो इस का रिज़ल्ट सामने आता है तो हम सर पकड़ के बैठ जाते हैं। लोगों से मिलने में कतराते हैं। क्योंकि वो बच्ची, जिसको बहुत लाड-प्यार से पाला था, वो अपना दीन बदल कर ‘आसानी’ से कहीं और चली जाती है। क्या हमारे पास वक़्त है कि इस तरफ़ सोचें ? बल्कि अब तो ऐक्शन लेने का वक़्त है। हमें आज ही ये फ़ैसला लेना होगा नहीं तो हम अपने रब के सामने जवाब नहीं दे सकेंगे और ये सबसे मुश्किल वक़्त होगा वहां कोई भी मदद नहीं मिल सकती। हम सबसे पहले अपने घरों का जायज़ा लें। हमारे बच्चे किस तरह के कपड़े पहन रहे हैं ? नमाज़ की क्या हालत है ? हमारे बच्चों के दोस्त कौन हैं ? कहाँ पढ़ रहे हैं ? इन सारी बातों पर बहुत ध्यान दें। इस्लामी तहज़ीब के नाम पर आप अपने बच्चों को कहाँ ले जा रहे हैं? आज ही जाग जाएं वर्ना वो वक़्त दूर नहीं जो कुछ आप आज सुन रहे हैं कल वो आपके घर का ‘मसला’ बन जाएगा, इस वक़्त आपको बच्चे और बच्ची पर ख़ास नज़र रखने की ज़रूरत है। सबसे पहले हम बच्चों को दीन की तरफ़ फेरें। कपड़ों पर नज़र करें शॉर्ट कपड़ों को उतरवाएं। छोटे बच्चे कह कर अपने को धोखा ना दें। ये फटी हुई ‘जीन्स’ और लड़कों का ‘हेयर स्टाइल’ इस को हम आज का फ़ैशन मान कर अपने आप को धोखा दे रहे हैं। ये ही बिगाड़ की शुरूआत है। एक और बड़ी ग़लती जो हमसे हुई है और अब भी हो रही है वो है कि हमने लड़कियों की तालीम पर तो फ़ोकस किया लेकिन लड़कों को छोड़ दिया इस से समाज में बैलेंस ख़राब हो गया। लड़की को इसके हिसाब से ‘रिश्ता’ नहीं मिल रहा। ये भी एक वजह है कि लड़कियां बदल रही हैं। हालाँकि जो ख़बरें आ रही हैं वो और भी ज़्यादा परेशान करने वाली हैं। वो वहां भी परेशान हैं और कई को तो अपनी जान भी गँवानी पड़ी। और इस तरह दुनिया और आख़िरत दोनों ख़राब हो गईं। हमें अपनी ज़िम्मेदारी और अपनी ‘ना अहली’ को ध्यान में रखना पड़ेगा। और ये काम आज से ही करना है। क्या आप तैयार हैं ? अल्लाह की मदद हमारे क़दम उठाने के बाद आएगी। ख़ूब समझ लो, पहल हमें ही करनी है। अल्लाह हम सबको इसकी तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।