उत्तर प्रदेश

शियाओं में खानदानी लड़ाई चरम पर समर्थकों का एक धड़ा उम्मीद भरी निगाह से देख रहा है मौलाना अगा रूही कि तरफ

लखनऊ। शिया फिरके के मौलवी घरानो मे वर्चस्व कि लड़ाई एक बार फिर सडक पर आ गई है खानदानो कि इस आपसी लडाई मे नुक़सान हमेशा बेचारी आवाम को उठाना पडता वर्चस्व कि इस लडाई मे अवाम चक्कि के दो पाटो मे पिसते रहते है और यह मौलवी हज़रात सियासी जमातो के लीडरो कि तरहा आपस मे मिलते जुल्ते भी रहते है बील्कुल राजनीतिक पार्टीयो कि तरहा वक़त के साथ चलते है जिससे फायदा हासिल होता है उसके पाले मे खडे नज़र आते है हाल यह है के मौलाना कल्बे जवाद के साथ साये कि तरहा रहने वाले मौलाना सैफ अब्बास आज उनसे अलग हो गये और वक़त एसा बदला कि मौलाना का घोर वीरोधी उर्दू का वह अखबार जिसको मौलाना जवाद “खिबासत” के नाम से पुकारते थे।

आज मौलाना का खास है वसीम रिज़वी और यासूब अब्बास का खास कहा जाने वाला अखृबार का मालिक अब मौलाना कल्बे जवाद का खास आदमी बन चूका है जबकि मौलाना और इनके दरमियान पुलिस थाना तक हुआ था मौलाना ने एलान किया था कि कौम इस अख़बार को ना पढे आज वक़त कि सितम ज़रिफि देखये कि मौलाना ने उससे हाथ मिला लिया है सूत्रो कि माने तो आगरा मे वक़फ कि ज़मीन पर मौलाना इनके साथ बिल्डर अग्रिमेन्ट कर रहे है बाताया जा रहा है यह ज़मीन बेशकिमती है।


लोगो का कहना है कि जब वसीम रिज़वी से वक़फ बोर्ड को लेकर मौलाना से झगडा हुआ था और मौलाना ने वसीम के खिलाफ सोशल बाईकाट का एलान कर दिया था तब भी वसीम रिज़वी मौलाना के घर नाके सिर्फ शादी बियाह मे आता जाता था बल्के मौलान के भाई उनकि मुलाकात खामोशी से वसीम से कराते रहते थे और मौलाना कौम के जलसो मे वक़फ बोर्ड का रोना रोते थे
मौजूदा वक़त मे भी खानदानी लडाई परवान चड रही है मौलाना के सगे भाई इस लडाई मे आग मे घी डालने का काम कर रहे है वीडियो डाल कर पुराने खानदानी झगडे मनज़र ए आम पर ला रहे क्योकि नई नसल इस से वाकिफ नही है।


उधर मौलाना का मुखालिफ गिरोह इस लिए कमजोर पड रहा है के उसके पास कोई लीडर नही है यही वजहा कि कौम का एक धडा मौलाना आगाय रूही कि तरफ उम्मीद भरी निगाह से देख रहा है वजहा यह कि मौलाना कल्बे जवाद और यासूब अब्बास का झगडा आम है दोनो एक दूसरे पर इल्जाम लगाते है यासूब अब्बास वक़फ सज्जादिया आलम नगर कि बेशकिमती ज़मीन मे हो रही धानधली और अब्बास बाग कर्बला मे क़बरो मे हो रही धानधली पर मौलाना मौलाना को घेरते है मौलाना कल्बे जवाद शिया कालेज को लेकर यासूब पर इल्जाम लगाते है कि यासूब का पूरा घराना शिया कालेज मे नौकरी करता है और वहा होने वाली नियुक्तियो मे करोडो कि उगाही करते है हालाकि अगर सूत्रो कि माने तो दोनो एक दुसरे पर सही इल्जाम लगाते है ।

एक बहुत पुरानी मसल है कि एक हम्माम मे सब नगे खास बात यह है कि दोनो गुरूप सत्ताधारी पार्टी के बेहद क़रीब है यासूब एण्ड कंम्पनी काफी पहले से लगी थी लेकिन मौलाना को वसीम रिज़वी से वक़फ बोर्ड छीन्ने के लिए इस पार्टी से हाथ मिलाना पडा हालाकि मौलाना के लिए मशहूर है कि वह सत्ता के साथ ही रहते आपने खानदान के नाम फायदा भी मौलाना को मिल्ता है जिससे उनको सत्ता का सुख मिल जाता है यह बात भी आम है कि मौलाना ने वक़फ कि तहरीक मे भीड़ जुटाने के लिए अवाम और अंन्जुमन हाय मातमी से बडे बडे वादे किये लेकिन बोर्ड बन्ने के एक साल बाद भी आज तक आम आदमी को कोई फायदा नही हुआ मौलाना के कुछ लगवे भगवो के अलावा किसी आम आदमी को कुछ नही मिला हद तो यह है।

कि वक़फ सज्जादिया कि ज़मीन जो उनकि निजि नही है उसको मोटी मोटी रक़मे लेकर मनमरजी से दिया जा रहा है लाखो रुपये वसूले जा रहे है और यहा भी ग़रीब आदमी कि कोई सुनवाई नही है सूत्र बाताते है कि सज्जादिया का सारा काम रात के अधेरे मे होता है एक विकलागं व्यक्ति देर रात मौलाना के यहा आकर इस काली कमाई का बटवारा करता है यह भी बताते चले कि वसीम रिज़वी ने क़ब्र कि जमीन मुफ्त मे देने का आदेश दिया था ।

अब हाल यह है कि वक़फ कर्बला अब्बास बाग मे आम आदमी कि रसाई खत्म हो चूकि मौलाना के गूरगे यहा 70000 तक क़ब्र कि जमीन का ले रहे है जबकि इमाम बडा गुफरानमाब मे क़ब्र बलैक कि जाति और 5 से 7 लाख तक पहुच चूकि है यह सब गुनाह मौलाना कि जानकारी मे हो रहा क्यो सज्जादिया अब्बास बाग और गुफरानमाब के मुतावल्ली खुद मौलाना कल्बे जवाद है|