जीवन शैली

121 नर्मदेश्वर शिवलिंगों के महारुद्राभिषेक में गूंजे वेद मंत्र, सहस्त्रधारा संग हुआ विधि विधान से पूजन 

 श्री गिरिराज जी सेवा मंडल “परिवार” ने किया महा रुद्राभिषेक का आयोजन
  सावन के अंतिम सोमवार पर प्रदोष व्रत में वृंदावन से आए ब्राह्मणाें ने कराया पूजन 
आगरा। बम भाेले की गूंज, एक स्वर में वेद मंत्रों का उच्चारण। काशी, उज्जैन, केदारेश्वर जैसी अलौकिक दिव्यता की सुगंध। 121 शिवलिंग और उनका पूजन करते 121 जोड़े। यूं तो परिसर लोहामंडी स्थित महाराजा अग्रसेन भवन का था किंतु भव्य पूजन से लगा जैसे बाबा विश्वनाथ का दरबार हो।
श्री गिरिराज जी सेवा मंडल “परिवार” द्वारा आगरा में पहली बार 121 नर्मदेश्वर शिवलिंगों का महारुद्राभिषेक महोत्सव का आयोजन किया गया। भव्य मंच पर विराजित भव्य शिवलिंग का पूजन कर वृंदावन से पधारे “याज्ञिक रत्न” आचार्य पंडित विष्णुकांत शास्त्री और उनके 11 शिष्यों ने रुद्राष्टक में वर्णित मंत्रों द्वारा महारुद्राभिषेक कराया। परिसर में 121 जोड़ाें ने भव्य पूजन में सहभागिता पूरे मनोयोग से दी। छोटे बच्चों से लेकर बड़ी आयु के सदस्यों तक ने पूजन पूर्ण कराने में सहयोग दिया। महारुद्राभिषेक के लिए सभी शिवलिंग नर्मदा नदी से मंगाये गए थे। आचार्य पंडित विष्णुकांत शास्त्री ने बताया कि भगवान शिव को ही रुद्र कहा गया है। रुद्ररूप भगवान शिव का ही एक अवतार है। भगवान शिव समस्त कष्टों को नष्ट करने वाले हैं। महारुद्राभिषेक पूजा से सभी अनिष्ट कर्म जलकर नष्ट हो जाते हैं। रुद्र हृदय उपनिषद में कहा गया है कि सभी देवी देवताओं की आत्मा रुद्र में उपस्थित है। एक साथ 11 वेद पाठी ब्राह्मणाें द्वारा 121 नर्मदेश्वर शिवलिंगों का रुद्राभिषेक करने से सिर्फ आयोजन परिसर में ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण में सकारात्मक उर्जाओं का संचार हुआ है। संरक्षक महंत कपिल नागर ने कहा कि 19 वर्ष में पहली बार भगवान शिव के माह में श्रीनारायण का माह यानि पुरुषाेत्तम मास आया। इस पवित्र समय को हरिहर मिलन माह भी कहा जाता है। इस पावन समय में ये भव्य आयोजन पूरे समाज के हित के लिए किया गया है। संस्थापक अध्यक्ष नितेश अग्रवाल ने बताया कि आयोजन के माध्यम से युवा पीढ़ी को सनातन धर्म की भव्यता और दिव्यता से परिचित कराया गया। अध्यक्ष अजय सिंघल ने बताया कि आयोजन में प्रार्थना की गयी कि जिस तरह से हमारा देश चांद तक पहुंचा है उसी तरह से विश्व का सर्वश्रेष्ठ बने और विश्व गुरु कहलाया जाए। सामूहिक पूजन द्वारा सामाजिक एकता का परिचय भी दिया गया।
इनकी रही सहभागिता
आयोजन में अध्यक्ष अजय सिंघल, सचिव विजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष विशाल बंसल, संस्थापक अध्यक्ष नितेश अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष रविंद्र गोयल, सहसंस्थापक मंयक अग्रवाल, व्यवस्थापक नीरज मित्तल, लक्ष्मण सिंघल, वीरेंद्र सिंघल, नीरज, अतुल गोयल, आशी, सीमा, शिवानी, रुचि, अर्चना, बालमुकुंद, ज्योति, अखिल मित्तल, अनीता, सपना, मनीषा आदि उपस्थित रहे।