आगरा। सिकंदरा स्थित नहर वाली मस्जिद के ख़तीब व इमाम जुमा मुहम्मद इक़बाल ने ख़ुत्बा ए जुमा में कहा कि आज हम अपनी ‘पिटाई’ पर जुमा के ख़ुत्बे में बात करेंगे, क्यों ऐसा हो रहा है कि हमको ‘दूसरों’ से सर-ए-आम पिटवाया जा रहा है ? इस पर गंभीरता से ग़ौर करने की ज़रूरत है, और ये कि आख़िर हम कब होश में आएँगे? क्यों बार-बार हम दुनिया में ज़लील हो रहे हैं? क्यों ऐसा है कि एक अल्लाह को मानने वाले ग़ैरों के हाथों बर्बाद हो रहे हैं? इस की असल वजह है कि हम ज़रूर ‘अल्लाह को’ मान रहे हैं लेकिन ‘अल्लाह की’ नहीं मान रहे हैं। हम खुले तौर पर अल्लाह की ना-फ़रमानी कर रहे हैं और हमें एहसास भी नहीं हो रहा है। जब तक हम ‘फ़र्मांबरदारी’ के उसूल पर वापिस नहीं आएँगे हम इसी तरह ज़िल्लत और रुस्वाई के साथ ग़ैरों से मार खाते रहेंगे। अल्लाह को एक मानने वालों! मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को आख़िरी पैग़ंबर मानने वालों! आख़िरत पर ईमान रखने वालों! अगर दुनिया में इज़्ज़त चाहते हो तो अल्लाह की रस्सी ‘क़ुरआन’ को मज़बूती से थाम लो। एक बात का फ़ैसला तो आपको आज करना ही होगा, ये जो मुस्लिम क़ौम लाखों रुपया ‘दहेज’ के नाम पर खुले आम नुमाइश करती है, वीडियो आप सबने देखे होंगे कि किस तरह शादियों में पैसा पानी की तरह बहाया जाता है और जो कुछ ख़ुराफ़ात रस्मो-रिवाज के नाम पर की जाती हैं जब तक हम इस बे-हयाई को नहीं रोकेंगे हमको इसी तरह दूसरों से ‘पिटवाया’ जाएगा। एक वो ज़माना था कि ग़ैर लोग इशारा करके कहते थे कि वो देखो एक मुस्लमान जा रहा है किसी की मजाल नहीं थी कि इस को बेइज़्ज़त किया जाए। बल्कि इस मुस्लमान से अपने ‘फ़ैसले’ कराते थे। और आज की हालत आप और हम अच्छी तरह जानते हैं कि हमको किस नज़र से देखा जाता है। जब तक हम ये नुमाइश बंद नहीं करेंगे और अल्लाह और रसूल की तरफ़ वापस नहीं आएँगे ये सब कुछ इसी तरह होता रहेगा। सब के सामने पिटते रहो आपको रोने भी नहीं दिया जाएगा। ख़ूब समझ लो, आसमान के फ़ैसले हमारे आमाल के हिसाब से आते हैं काबा के रब की क़सम है जिस दिन हमारे आमाल ठीक हो गए आसमान का फ़ैसला हमारे हक़ में ही आएगा इन-शा-अल्लाह। गेंद हमारे पाले में है। हमको ही सही चुनाव करना है कि हम ‘अल्लाह की’ मानते हैं या फिर इसी तरह बेग़ैरत हो कर जीना चाहते हैं। अगर अब भी हमारी ग़ैरत नहीं जागी तो फिर याद रखो तुम्हारी दास्ताँ तक भी ना होगी दास्तानों में। अल्लाह हमें सही सूझ-बूझ अता फ़रमाए आमीन।