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भारत ‘भारत’ है इंडिया नहीं, भारत विश्व के लिये प्रकाश की किरण है

  • लेखक -पूरन डावर, सामाजिक चिंतक एवं विश्लेषक

भारत ‘भारत’ है इंडिया नहीं, भारत विश्व के लिये प्रकाश की किरण है असभ्य- जंगली नहीं (इंडिया का शाब्दिक अर्थ है असभ्य जंगली ) सब कुछ समय पर घटित होता है, राजनीति में सही समय और गलती का इंतज़ार होता है और कभी-कभी ऐतिहासिक त्रुटियाँ भी दुरुस्त हो जाती हैं।

राहुल गांधी ने एक बार पुनः अपने आपको स्थापित और सिद्ध कर दिया। गठबंधन का नाम इंडिया रख कर इनकी अंग्रेज़ी अब उन पर ही भारी पड़ेगी। इंडिया का शाब्दिक अर्थ है ‘असभ्य जंगली या जाहिल’ अंग्रेज भारतीयों को इण्डियन के नाम से और इसी तरह मूल अमरीकियों को रेड इण्डियन के नाम से पुकारते थे, क्योंकि उनकी चमड़ी लाल थी इस कारण वे रेड इण्डियन कहलाते रहे। भारत नाम सनातन का हिस्सा है भा- भाव, र- राग, त- ताल। विष्णु पुराण से लेकर महाभारत तक और उसके बाद भी भारत ही कहा जाता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के बाद सिंधु फिर हिंदू शब्द की उत्पत्ति हुयी। अंग्रेज़ी ने फिर उसे इंडस वैली फिर जंगली सभ्यता का नाम दिया।

यदि आप ऑक्सफ़ोर्ड की पुरानी डिक्शनरी (Oxford Dictionary) खोलें तो पृष्ठ नं०789 पर लिखा है Indian जिसका मतलब बताया गया है कि “old-fashioned & criminal peoples” अर्थात् पिछड़े और घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग तथा India का एक और अर्थ है “वह व्यक्ति या दंपत्ति जिसके माता-पिता का विवाह चर्च में नहीं हुआ हो। अर्थात “Indian” शब्द का अर्थ है उस दंपत्ति से पैदा संतानें जो कि चर्च में विवाह न होने के कारण नाजायज हैं मतलब कि बास्टर्ड या फिर हरामी संतान। ब्रिटेन में वहां के नागरिकों को “इंडियन” कहना क़ानूनी अपराध है। ( साभार गूगल )

विडंबना यह रही कि इस गुलामी काल में हम अंग्रेज़ी के प्रभाव के कारण इसके अर्थ को (गाली को) समझ नहीं सके। आज भी अंग्रेज़ी मानसिकता के लोग या पढ़े-लिखे कहलाने वाले व्यक्ति को किसी बिना अंग्रेज़ी पढ़े को गाली देनी होती है तो उसे अंग्रेज़ी में गाली जड़ देते हैं, बेचारा अंग्रेज़ी में समझ नहीं पता उसकी तारीफ़ हो रही है या उसे गाली दी जा रही है।

कांग्रेस पार्टी सर ह्यूम एक अंग्रेज ने बनायी सुभाष चंद बोस सहित अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों की क़ुर्बानियों और बढ़ते हमलों से त्रस्त अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का फ़ैसला किया लेकिन सत्ता कांग्रेस के माध्यम से अपने पास ही रखी, विडंबना यह है कि भारत के संविधान में इंडिया शब्द जिस नाम से हमें पुकारते थे यानी असभ्य जंगली वह जोड़ दिया गया। बकाया काम अंग्रेज़ी कांग्रेस सरकार ने किया- सरकारी स्कूल ध्वस्त, हिन्दी ध्वस्त, संस्कृत ध्वस्त, प्रारंभिक प्राविधिक शिक्षा ध्वस्त, केवल अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल उच्च, मिशनरी स्कूल ही उच्च। बेचारे भाषा समझें या विषय। कोई हुनर नहीं हाथ में एक डिग्री टूटी फूटी अंग्रेज़ी हिंदी बोलने वाला अशिक्षित जाहिल असभ्य यानि ‘ब्लडी इण्डियन’ शब्द को सार्थक अर्थपूर्ण बनाने का पूरा प्रयास किया।

पिछले कुछ समय से भारत नाम के लिये आंदोलन शुरू हुए। इसे जैन गुरुओं ने प्रखरता से रखा, हर सत्संग में भारत नाम के उद्भव की व्याख्या की। सदगुरु प्रखरता से भारत शब्द के उद्भव् को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत जी भी लंबे समय से भारत को भारत ही कहा जाये पर विषय रखते आये हैं। विजयकुमार जैन के नेतृत्व में एक फाउंडेशन बनी जिसका नाम ‘मैं भारत हूँ’ उस फाउंडेशन का मैं भी हिस्सा हूँ। हर सांसद को पत्र लिखा गया, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं को जोड़ा गया, सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के साथ सुप्रीम कोर्ट के ही ऑडिटोरियम में गत वर्ष एक सेमिनार किया गया जिसने मैंने एक दिन पहले केटरक के ऑपरेशन के बावजूद हिस्सा लिया। संविधान से इस इंडियन ‘असभ्य जाहिल’ शब्द को हटाना है। भारत को केवल भारत ही कहा जाय। राहुल पर उन्हीं की अंग्रेज़ी उन्हीं पर भारी पड़ी अपने गठबंधन का नाम इंडिया असभ्य जाहिल रखकर।