संवाद – मो नज़ीर क़ादरी
रोगी के खून में यूरिया की मात्रा 276 और क्रिएटिनिन 21 मिलीग्राम हो गया
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ रणवीर सिंह चौधरी ने किया उपचार
अजमेर । अजयसर निवासी 30 वर्षीय युवक को डॉक्टर की सलाह के बिना दर्द निवारक गोलियां खाना इतना महंगा पड़ गया कि उसकी किडनी खराब होने के कगार पर पहुंच गई। मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ रणवीर सिंह चौधरी ने रोगी का त्वरित उपचार कर उसे क्रोनिक किडनी रोगी होने से बचा लिया। रोगी को स्वस्थ अवस्था में हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है।
परिवारजन के अनुसार रोगी को कुछ दिनों से भोजन नहीं कर पाने, बार—बार उबकाई आने, बुखार रहने, शरीर पर सूजन आने तथा पेट दर्द रहने की शिकायत थी। उन्होंने बताया कि रोगी गैस सिलेण्डर की गाड़ी चलाता है। गाड़ी में सिलेण्डरों की उठाई—धरी करने के कारण पेट में दर्द रहने लगा तो वह दर्द निवारक गोलियों का सेवन करने लगा था। इससे उसकी तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी थी। उन्होंने बताया कि रोगी को मित्तल हॉस्पिटल लेकर पहुंचने से पहले भी उन्होंने पांच—सात दिन सरकारी अस्पताल का इलाज लिया था किन्तु राहत नहीं मिली। मित्तल हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ रणवीर सिंह चौधरी को दिखाने पर उन्होंने रोगी को बिना समय गंवाए भर्ती कराने की सलाह दी, जहां उसका त्वरित उपचार किया गया और अब वह स्वस्थ है।
क्रिएटिनिन 21 पर पहुंच गया…….
डॉ रणवीर सिंह चौधरी ने बताया कि रोगी जब उनके पास आया था तब वह बेहोशी की तरफ जा रहा था। पेशाब आना बंद हो गया था। शरीर पर सूजन थी। जांच में पता चला कि रोगी के खून में यूरिया की मात्रा 276 थी जो कि सामान्य अवस्था में 10 से 45 तक होती है। वहीं क्रिएटिनिन 21 मिलीग्राम पर पहुंच गया था सामान्य अवस्था में यह 0.7 से 1.3 मिलीग्राम तक ही होता है। उन्होंने बताया कि रोगी की गंभीर अवस्था को देखते हुए तुरन्त भर्ती कर उपचार शुरू किया गया। रोगी का डायलिसिस किया गया। रोगी की किडनी की बायोप्सी जांच कराई गई उसके आधार पर निदान किया गया। रोगी के शरीर से सूजन उतर गई है। डायलिसिस भी बंद हो गया है। क्रिएटिनिन भी 1.2 सामान्य हो गया है। रोगी को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।
चिकित्सक की परामर्श के बिना नहीं लें दवा……..
डॉ रणवीर ने बताया कि डाक्टर की सलाह के बिना ही युवक ने दर्द निवारक गोलियों का सेवन कर लिया था जिससे तबियत तेजी से खराब हो गई। दर्द निवारक गोलियों का सेवन चिकित्सक की परामर्श पर ही किया जाना चाहिए। डॉ रणवीर ने कहा कि छोटी उम्र में नशा करने, बिना उचित चिकित्सक की परामर्श के मनमर्जी से दर्द निवारक दवाइयां खाने अथवा अन्य मेडिसिन का सेवन करने से रोग का पता नहीं चलता है और बीमारी के बढ़ने की संभावना रहती है। रोगी का समय पर सही उपचार नहीं होता उसकी जान जोखिम में पड़ सकती थी और भविष्य में उसके स्वास्थ्य का भारी नुकसान उठाना पड़ता। क्रोनिक किडनी रोगी होने पर उसे जीवन पर्यन्त उपचार कराते रहना होता।
डायलिसिस सेंटर का किडनी रोगियों को मिल रहा लाभ …………
निदेशक निदेशक सुनील मित्तल ने बताया कि एक ही छत के नीचे मल्टी सुपरस्पेशियलिटी आधुनिक चिकित्सा सेवा और सुविधाओं की उपलब्धता से संभागवासी गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा लाभ प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में डायलिसिस सेंटर का किडनी रोगियों को भरपूर लाभ मिल रहा है।
मित्तल हॉस्पिटल केंद्र सरकार (सीजीएचएस), राजस्थान सरकार(आरजीएचएस) व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स, भूतपूर्व सैनिकों ईसीएचएस, ईएसआईसी सहित सभी टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है। मित्तल हॉस्पिटल में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत सभी सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं में सर्जरी की सुविधा उपलब्ध होने से रोगियों को बड़े से बड़े और गंभीर रोगों का उपचार स्थानीय स्तर पर मिल पा रहा है।