बरेली । सुन्नी,सूफी,ख़ानक़ाही विचारधारा के बड़े धर्मगुरु आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान की बारगाह में खिराज़ पेश करने विश्व भर के लाखों ज़ायरीन समेत उलेमा बरेली पहुँच चुके है। आज इसी कड़ी में उर्स स्थल इस्लामिया मैदान में सुबह 8 बजे अंतरराष्ट्रीय आपसी सौहार्द का आयोजन दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत में किया गया। जिसमें विश्व भर के चोटी के उलेमा ने शिरकत की। सय्यद आसिफ मियां व उर्स प्रभारी राशिद अली खां की निगरानी में सभी कार्यक्रम हुए। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का आगाज़ कारी रिज़वान रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। निज़ामत (संचालन) मुफ्ती शोएब रज़ा मंजरी व कारी यूसुफ रज़ा सम्भली ने की। मुफ्ती आसिफ मंजरी ने देश भर से आये उलेमा व मस्जिदों के इमामों से अपील करते हुए कहा कि वो लोग जुमे की नमाज़ के खुतबे में आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने,नफरत मिटाने और शरई दायरे में रहकर आपसी भाईचारे मज़बूत करने पर जोर दे। अपनी तकरीरो में इस टॉपिक को शामिल करें। वही मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के वरिष्ठ मुफ्ती सलीम नूरी ने इस्लाम और शांतिवाद व मानवतावाद पर खिताब करते हुए कहा कि मज़हब-ए-इस्लाम अम्न-ओ-शांति का मज़हब है। यही वजह मुसलमान शरीयत पर अमल करने के साथ- साथ अपने मुल्क के संविधान पर भी चलता है। मुल्क भर में इस्लाम की अमन पसंद सुन्नी सूफी विचारधारा गैर मुस्लिम तक पहुंचाए। मज़हब व समाज विरोधी गतिविधियों से मुस्लिम नवयुवकों अपने आप को दूर रखे। साथ ही उन्होंने नवयुवकों से नशाखोरी जैसी बुराई से दूर रहते हुए तालीम हासिल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है मिलजुल कर रहने से ही हमारा मुल्क तरक़्क़ी कर सकता है। मुफ्ती स्वालेह रज़वी ने कहा कि आज का नौजवान भड़काऊ,आपत्तिजनक सामग्री,भावनाओं को आहत करने वाली गैर कानूनी सामग्री को अपलोड करने से बचने की सलाह देते हुए कहा कि कुछ लोग सियासी लाभ के लिए मुल्क वासियों के दरम्यान नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है इससे हमे सावधान रहने की जरूरत है। मुफ्ती अहमद रज़ा साथ ही उन्होंने हुक़ूमत-ए-हिन्द से ऐसे लोग जो पैगम्बर ए इस्लाम व दूसरे मज़हबों के रहनुमाओं के खिलाफ टिप्पणी करते है उनके लिए सख़्त कानून बनाने की मांग की। संचालन करते हुए कारी यूसुफ रज़ा सम्भली ने सामाजिक बुराई जैसे महिलाओं के साथ होने वाली जुल्म ज़्यादती, बढ़ती दुष्कर्म की घटनाए, आपसी लड़ाई झगड़े ,सूद के कारोबार,शराब,ज़िना (बलात्कार),नशाखोरी,शादियों में फुजूलखर्ची,डीजे ढोल बाजे,मुसलमानों के शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन पर फिक्र ज़ाहिर करते हुए लोगो से एसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का आव्हान करते हुए इस्लाम के अहकाम नमाज़ो की पांबन्दी पर ज़ोर दिया। मुफ्ती आकिल रज़वी,मुफ्ती जमील, मुफ्ती फैज़, कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मुफ्ती अय्यूब खां नूरी आदि ने भी आला हज़रत को खिराज़ पेश किया। कांफ्रेस दोपहर 12 बजे तक चली। इसके अलावा मौलाना आसिफ रज़ा उड़ीसा,अल्लामा हसन रज़ा पटनवी,मुफ़्ती आसिफ
मंज़री(मॉरीशस),ममौलाना फूल मोहम्मद नेमत बरकाती(नेपाल),मौलाना फुरकान फ़ैज़ी (नेपाल),मुफ्ती अजमल,मुफ्ती तौहीद राज़वी,मुफ्ती अनवर रज़ा,मौलाना नसरुदीन आदि ने मौजूद रहे।