आगरा/ फतेहपुर सीकरी। दुनियाभर में मिलाद उन-नबी बारह बफात एक ऐसा त्योहार है जो इस्लाम के मानने वाले हर व्यक्ति के लिए खास महत्व रखता है। इस त्योहार को ईद-ए-मिलाद या मालविद या बारह बफात के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीसरे माह की 12 तारीख को पैंगबर साहब का जन्म हुआ था। इस ईद मिलाद के दिन को जन्म दिन के रूप में दुनियाभर में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग नये नये कपड़े पहनते हैं।
ईद-ए-मिलाद का महत्व
पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन को दुनिया भर में ईद मिलाद उन-नबी या ईद-ए-मिलाद या मालविद के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही मोहम्मद साहब का निधन भी हुआ था.इस्लामी चंद्र कैलेंडर के अनुसार, भारत में ईद मिलाद उन-नबी 28 सितंबर 2023 को मनाया गया। इस दिन ईद मिलाद उन नबी की दावत का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही मोहम्मद साहब की याद में जुलूस इत्यादि का भी आयोजन किया जाता है। इस साल बड़े जुलूस का आयोजन किया गया।
कौन हैं हजरत मुहम्मद साहब?
मक्का में पैदा हुए पैगंबर मोहम्मद साहब का पूरा नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मत्तलिब था। पिता अब्दुल्लाह और माता का नाम अमिना बीबी था। इस्लामिक मतों के अनुसार हजरत मुहम्मद साहब को मक्का स्थित हिरा नाम की गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद ही उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र कुरान का उपदेश दिया था। हजरत मोहम्मद साहब ने अपने उपदेशों में बार-बार यह कहा था कि सबसे नेक इंसान वही है, जिसमें इंसानियत होती है। हजरत साहब ने अपने उपदेशों में यह भी माना था कि जो ज्ञान का आदर करता है, मेरा हृदय भी उन्हीं का सम्मान करता है।