राजस्थान

अजमेर के डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ को अमृत सम्मान


राजस्थान साहित्य अकादमी की वर्ष 2023-24 के वार्षिक सम्मान सूची में ‘हंस’ शामिल

अजमेर । के जाने माने साहित्यकार डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ को वर्ष 2023—2024 के लिए अमृत सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण की अध्यक्षता में हुई संचालिका एवं सरस्वती सभा की बैठक में सर्वसम्मत निर्णय के बाद अमृत सम्मान एवं विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से अलंकृत होने वाले 51 साहित्यकारों की जारी सूची में अजमेर के डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ का नाम अमृत सम्मान के लिए घोषित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि अकादमी का अमृत सम्मान पचहतर वर्ष से अधिक की उम्र के उन साहित्यकारों को दिया जाता है जिनको अभी तक अकादमी का कोई भी पुरस्कार नहीं मिला हो। इस सम्मान के तहत इक्कतीस हजार रुपये की राशि दी जाती है। इस बार कुल पंद्रह साहित्यकारों को अमृत सम्मान से अलंकृत किया जाएगा। अकादमी के सचिव डॉ बसंत सिंह सोलंकी ने बताया कि संचालिका सरस्वती सभा के निर्णय के अनुसार वर्ष 2023—2024 के अमृत सम्मान समारोह का आयोजन इसी सप्ताह चूरू जिले में होना प्रस्तावित है।
उल्लेखनीय है कि डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ को इससे पहले सन 2012 में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की ओर से गणेशीलाल व्यास उस्ताद पद्यम पुरस्कार, वर्ष 2012 में ही मीरा स्मृति संस्थान, चित्तौड़गढ़ की ओर से महाकवि गुलाब खण्डेलवाल मीरा काव्य पुरस्कार, वर्ष 2011 में रामनिवास आशारानी लखोटिया ट्रस्ट नई दिल्ली की ओर से लखोटिया पुरस्कार, वर्ष 2000 का साहित्य अकादमी नई दिल्ली की ओर से राष्ट्रीय राजस्थानी अनुवाद पुरस्कार, वर्ष 1999 का दलित साहित्य अकादमी महाराष्ट्र द्वारा प्रेमचंद लेखक पुरस्कार सहित अनेक संस्थाओं द्वारा समय —समय पर पुरस्कृत किया गया है।
डॉ विनोद सोमनी ‘हंस’ राजस्थानी और हिन्दी दोनों ही भाषाओं के सिद्धहस्त लेखक, कथा—कहानीकार और व्यंग्यकार एवं कवि हैं। हिन्दी में उनके कविता संग्रह त्रिकोण, हंस, व्यंग्य—विनोद अक्षत अर्चना के, गीत गोवर्धन बनेगा, मन बने राधा, प्रभु से पुकार, कहां ढूंढ़े रे बंदे, आराधना के स्वर, म्है गाऊं मन रा गीत आदि काफी चर्चित एवं पठनीय रहे।
डॉ विनोद सोमानी के उपन्यास एक था मंत्री, शतरंज का नायक, एक थी वंदना, सुबह का भूला, बदल गया जमाना, सूरज का रथ काफी लोकप्रिय रहे। आपके लिखे कहानी संग्रह समर्पण ही आनंद, न्याय धर्मराज का, सुनो वत्स!, मन का मनका फेर, स्वर्ण पदक, फूल बनकर तो देख! हाल में प्रकाशित चौराहे के तीन रास्ते काफी पसंदीदा रहे। डॉ सोमानी के निष्काम प्रेम पर निबंध संग्रह और हाँ कहने का सुख पर व्यंग्य संग्रह भी बेहद लोकप्रिय रहे हैं। राजस्थानी भाषा में उनका लिखा महाकाव्य म्हारा दाता गिरधारी तथा कहानी संग्रह तिस, चुप्पी। कविता संग्रह मिनख, म्हैं अभिमन्यु, माछळी री पीड़। गीत—गज़ल संग्रह म्हैं गाऊं मन रा गीत को काफी सराहा गया।
अजमेर के जीवन विहार कॉलोनी, आनासागर सरक्यूलर रोड निवासी डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ बेहद सहज, सरल और हंसमुख मिजाज के धनी हैं। आज भी वे अपनी नियमित दिनचर्या से बंधे हैं । वर्ष 1938 में जन्में डॉ विनोद सोमानी आज भी कोई दिन ऐसा खाली नहीं जाने देते जब उनके चिंतन में आए विचारों को उन्होंने साहित्य की किसी भी विधा में लेखन से कागज पर नहीं उकेरा हो।
डॉ विनोद सोमानी के पुत्र सीए श्याम सोमानी बताते है कि अब जबकि उनकी माताजी स्व.श्रीमती विद्या सोमानी जो स्वयं एक प्रकाशक, लेखक, विचारक और गीतकार रही हैं उनके पास नहीं हैं डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ ने लेखनी को ही अपनी संगिनी बना लिया है। सुबह—शाम साहित्य सृजन में ही उनका मन रमता है। वे तो बस उनके इस सृजन में तनिक सहयोग कर पाते हैं तो भी स्वयं को धन्य समझते हैं। बता दें कि डॉ विनोद सोमानी ‘हंस’ स्वभाव से भी बहुत ही मिलन सार और विनोदी है। ईश्वर उन्हें दीर्घायु दे।