लखनऊ। कॉर्पोरेट मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सरकार से सवाल नहीं पूछता। जबकि स्वतंत्र मीडिया सरकार की विफलताओं पर सवाल उठाता है। इसीलिए लोगों का स्वतंत्र मीडिया की तरफ रुझान बढ़ा है। भाजपा सरकार स्वतंत्र मीडिया की इसी बढ़ती लोकप्रियता से डरी हुई है। न्यूज़ क्लिक समेत कई स्वतंत्र मीडिया कंपनियों पर हाल के दिनों में हुए सरकारी हमले इसी डर को दिखाते हैं।
ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 117 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा न्यूज़ क्लिक के खिलाफ़ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि किसान आंदोलन के समर्थन में उसने रिपोर्टस दिखाई हैं। इस आंदोलन से आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही बाधित हुई थी और आंदोलनकारियों ने सरकारी सम्पत्ति को भी नुकसान पहुॅंचाया। इस आरोप के साथ न्यूज़ क्लिक पर यूएपीए के तहत आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर इस तरह मीडिया पर मुकदमें लिखे जाने लगेंगे तो कोई भी पत्रकार सड़क पर होने वाले किसी भी धरने प्रदर्शन को कवर नहीं करेगा। क्योंकि उसे सरकार उस आंदोलन के कारण अनाज, सब्ज़ियों और फलों से भरे ट्रकों के आवागमन में पड़ी बाधा और आंदोलन से हुए संपत्तियों के नुकसान का सीधा आरोप उस पत्रकार और उसके संस्थान पर लगा सकती है।
उन्होंने कहा कि यह कितने आश्चर्य की बात है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में पिछले साल ही लिखित जवाब दिया था कि सरकार ने आंदोलनरत किसानों के खिलाफ़ दर्ज मुकदमें वापस ले लिए हैं। लेकिन उस आंदोलन की खबर प्रकाशित करने के आरोप में एक मीडिया संस्थान पर आतंकवाद की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इसीतरह एफआईआर में न्यूज़ क्लिक पर कोरोना महामारी को रोकने में सरकार की विफलताओं पर की गयी खबरों को भी संगीन अपराध बताया गया है। एक तरह से यह स्वतंत्र मीडिया को धमकी है कि आप सरकार पर सवाल उठाएंगे तो जेल भेज दिये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी जी के सत्ता में आने के बाद से मीडिया में बहसों का स्तर लगातार गिरता रहा है। स्थिति यह हो गयी है कि अच्छे खासे पत्रकार भी ट्रोलर हो गए हैं जो अपनी बहसों में गाली गलौज तक करने लगे हैं। इस सब का श्रेय मोदी जी को जाता है।
उन्होंने कहा कि न्यूज़ क्लिक पर दर्ज एफआईआर भविष्य में स्वतंत्र मीडिया पर नियंत्रण करने की सरकारी साजिशों की बानगी भर है। इसलिए नागरिक समाज को स्वतंत्र मीडिया के साथ एकजुटता दिखाकर लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आना होगा।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी जी को अंदाज़ा हो गया है कि अब उनके झोला उठाकर चले जाने का समय आ गया है। इसीलिए बौखलाहट में वो सवाल उठाने वाली मीडिया संस्थानों पर छापे मरवा रहे हैं।