राजस्थान

जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय में “कम्पैश्नेट कम्यूनिटीज : टुगेदर फॉर पैलिएटिव केयर” थीम आधारित कार्यक्रम का आयोजन

संवाद -मो नज़ीर क़ादरी
अजमेर। विभागाध्यक्ष डॉ दीपक गर्ग ने बताया कि प्रथानाचार्य महोदय डॉ वी बी सिंह एवं अधीक्षक डॉ नीरज गुप्ता के अथक प्रयासों से राजस्थान का दूसरा इस तरह का विभाग अजमेर मेडिकल कॉलेज में खुल पाया है। प्रधानाचार्य के प्रयासों से नेशनल मेडिकल कमीशन ने भी विभाग हेतु 05 पीजी सीटों की अनुमति प्रदान कर दी है तथा रेजिडेंट डॉक्टर ने विभाग जॉइन भी कर लिया है। साथ ही विभाग हेतु अत्याधुनिक उपकरण भी उपलब्ध करवा दिए गये हैं।RSRDC द्वारा भवन निर्माण कार्य भी प्रगति पर है।
पैलिएटिव केयर एक समग्र दृष्टिकोंण से मरीज़ों की देखभाल का तरीका है जिसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं को संबोधित करते हुए असाध्य बीमारियों से पीडित मरीजों की संपूर्ण देखभाल की जाती है जिससे मरीज की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। साथ ही उनकी देखभाल करने वाले परिजनों को भी सशक्त बनाने का प्रयास किया जाता है। पैलिएटिव केयर केवल अंतिम अवस्था के मरीजों के लिए ही नहीं है बल्कि कैंसर, हृदय,साँस, किडनी, लिवर, तंत्रिका तंत्र इत्यादि बीमारी का पता लगते ही शुरू हो जाती है। विभाग में इस वर्ष अभी तक लगभग 15०० मरीजों का एवं
160 मरीजों का मिनिमल इनवेजिव पेन एवं स्पाइन इंटरवेंशन प्रक्रियाओं द्वारा मरीजों को राहत पहुँचाई हैं। विभाग में अल्ट्रासाउंड यूएसजी, सी आर्म, पीआरपी, एपिडयूरल, नर्व ब्लॉक इत्यादि समस्त सुविधाएं उपलब्ध हैं।
इस अवसर पर अतिरिक्त प्रधानाचार्य डॉ गरिमा बाफना, डॉ गीता पचौरी, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ वीणा माथुर, डॉ मधु माहेश्वरी, डॉ कविता जैन, डॉ वीणा पटौदी, डॉ मणिराम कुम्हार, डॉ अरविन्द खरे, डॉ शिव बुनकर, मैटरन रेणुका क्लेमेंट इत्यादि द्वारा पोस्टर विमोचन किया गया।
सहायक आचार्य डॉ विकास गुप्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिवर्ष 8 करोड मरीजों को दर्द निवारण एवं पैलिएटिव केयर की आवश्यकता होती है। परंतु केवल 1 प्रतिशत मरीजों को ही यह सुविधा मिल पाती है एवं बढती औसत उम्र के कारण यह गैप और अधिक बढता जा रहा है। प्रतिवर्ष 1.8 करोड मरीज दर्द निवारण एवं पैलिएटिव केयर के अभाव में दर्द एवं पीडा से मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। जबकि WHO के अनुसार भी दर्द निवारण एवं पैलिएटिव केयर को मानवाधिकार एवं यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज का आवश्यक अंग माना गया है। जिस प्रकार गरिमापूर्ण जीवन एक मौलिक मानवाधिकार हैं, उसी तरह गरिमापूर्ण मृत्यु भी मौलिक मानवाधिकार है।
कम्पैशन पीडित मरीजों के प्रति सहानुभूति व करूणा पूर्ण भावना द्वारा उनकी पीडा को समझना एवं उनकी सहायता करने के साथ साथ यह एक देने का भाव, समानता, एवं आत्मीय देखभाल का भाव है। कम्पैशनेट कम्यूनिटी मरीज एवं उनके परिवार से शुरू होकर चिकित्सालय स्टाफ जैसे चिकित्सक, नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता, सरकार इत्यादि को शामिल करती है। कम्पैशनेट कम्यूनिटी लोगों की देखभाल करती हैं, लोग़ों को सेवाओं से जोडती है तथा जीवन के अंतिम पडाव के पहलुओं के बारे में भी जागरूकता प्रदान करती है।
अंत में मुख्य अतिथी डॉ गरिमा बाफना ने प्रधानाचार्य की ओर से विभाग को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में चिकित्सक, नर्स, रेजिडेंट डॉक्टर, स्टाफ , मरीजों के परिजन इत्यादि शामिल रहे।