आगरा। शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो चुका है माता रानी का ये महा उत्सव आज से आरम्भ होगा और 23 अक्टूबर को यह समाप्त होगा। नवरात्रि के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं। नवरात्रि को पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लोगों को नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अर्चना और व्रत करने का इंतजार रहता है। शारदीय नवरात्रि के बाद दसवें दिन दशहरा का पर्व भी मनाया जाता है, जहां कई जगह मेले लगते हैं और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि कब से शुरू हो रहे है।
शारदीय नवरात्रि में घर घर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है। मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद भी बना रहता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा शक्ति के रूप में की जाती है। पश्चिम बंगाल में इस नवरात्रि के समय दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता है।
शारदी नवरात्र का ये है धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। यह पर्व मां दुर्गा के 9 रूपों को समर्पित है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना व व्रत करने से साधक के सभी दुख-संताप दूर होते हैं।28-Sept-2023
देखिए नवरात्र का दिन और दिनांक
नवरात्रि का पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा – 15 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 16 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा – 17 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा – 18 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा – 19 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा – 20 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा – 21 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का आठवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा – 22 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का नौवें दिन मां महागौरी की पूजा – 23 अक्टूबर 2023
विजयदशमी या दशहरा पर्व – 24 अक्टूबर 2023नवरात्रि पर भक्त पूरे नौ दिन तक हवन करते हैं। इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोली या कुमकुम, अक्षत(चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आमचन के लिए)। श्रृंगार सामग्री माता रानी के लिए लेनी आवश्यक है।
ये है पूजा सामग्री
नवरात्रि पर भक्त पूरे नौ दिन तक हवन करते हैं। इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोली या कुमकुम, अक्षत(चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आमचन के लिए)। श्रृंगार सामग्री माता रानी के लिए लेनी आवश्यक है।
नवरात्र में भूल कर भी न करें ऐसा
ध्यान रखें कि नवरात्रि में मांसाहार और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए. तामसिक भोजन में लहसुन-प्याज भी शामिल है. नवरात्रि के दौरान शराब, पान और गुटखा आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए. नवरात्रि में दाढ़ी, मूंछ नहीं बनवाने चाहिए और न ही नाखून काटने चाहिए।
नवरात्र के 9 दिन करें ये काम
नवरात्रि के नौ दिनों तक रोजाना सुबह नहाकर पूजा स्थान और घर की अच्छे से सफाई करें।
- मंदिर की सफाई करें और गंगा-जल से शुद्ध करें. इसके बाद विधि-विधान से पूजा करें।
- देवी मां को लाल रंग काफी पसंद है इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां को लाल रंग के फूल अर्पित करें.
- नवरात्रि के नौ दिनों तक माता को लाल चुनरी ही चढ़ाएं और साथ में लाल रंग की चूड़ी अर्पित करें।
- नवरात्रि के नौ दिनों तक माता के अलग-अलग रूपों की पूजा करें और उन्हें उनका मनपसंद भोग लगाएं।
- नवरात्रि के नौ दिनों तक जहां आपने अखंड ज्योत जलाई है उसके सामने दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें इससे माता रानी खुश होंगी।
- नवरात्रि के दिनों में अगर हो सके तो घर में कलश स्थापना के साथ अखंड ज्योति जरूर प्रज्जवलित करें.
- पूजन अर्चन के बाद दुर्गा चालीसा, दुर्गासप्तशती और देवीभागवत पुराण का पाठ करें।