लखनऊ , भाजपा के दलित सम्मेलनों को अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने दलितों के साथ ठगी का अभियान बताया है जिसके झांसे में दलित अब बिल्कुल नहीं आएंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2014 के बाद से उत्तर प्रदेश में दलितों पर सामंती हमले बढे हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में दलित संविधान बचाने के लिए अपने पुराने घर कांग्रेस में वापसी का मन बना चुके हैं।
कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि योगी सरकार में दलित उत्पीड़न के मुकदमे दर्ज नहीं हो रहे हैं और जो हो भी रहे हैं उनमें हल्की धाराएं लगाई जा रही हैं। पुलिस अधिकतर मामलों में पीड़ितों पर समझौते का दबाव बना रही है। वहीं योगी जी मंच से तो बाबा साहेब अंबेडकर की बात करते हैं लेकिन
मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे अनंत हेगड़े, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय और संघ के कई नेता संविधान बदलने की बात करते हैं। यहाँ तक कि राज्य सभा में संविधान की प्रस्तावना बदलने के लिए भाजपा सांसद निजी बिल भी ले आते हैं। दलित समाज यह सब देख समझ रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने दलितों की ज़मीन ग़ैर दलितों द्वारा ख़रीदे जाने पर रोक वाला क़ानून बनाया था जिसके कारण दलितों में मध्यवर्ग विकसित हो गया जो राजनीतिक और सामाजिक तौर पर जागरूक हुआ। लेकिन योगी सरकार ने शहरी विकास में इस क़ानून को बाधा मानते हुए शहरी दलितों के लिए इस क़ानून को समाप्त कर दिया है। जिससे अब कोई भी दलितों को डरा धमका कर उनकी ज़मीन ख़रीद लेगा। ऐसा करके भाजपा सरकार फिर से पुरानी सामाजिक व्यवस्था लागू करना चाहती है जिसमें दलितों को ज़मीन रखने का अधिकार नहीं होता था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनते ही भूमिहीन दलित परिवारों को इंदिरा गाँधी जी की सरकार की तरह ही फिर से ज़मीन के पट्टे दिए जाएंगे।