इमाम की ज़रूरत नहीं होती है पूरी, क्या हो सकती है मजबूरी?
₹5000 तनख्वाह देती थी क़ौम, मौत का ज़िम्मेदार
कौन?
क़ौम के लोग इसलिए नाकाम, इमाम को समझते हैं
गुलाम?
महंगाई के ज़माने में सैलरी पांच हज़ार, कैसे गुज़ारा करेगा इमाम का परिवार?
जब ऐसा होगा अंजाम, तो कौन बनेगा इमाम?
कानपुर। कानपुर देहात के थाना फफूंद के नांदपुर गांव की मस्जिद में 20 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह इमाम का कमरे में पंखे से लटकता मिला। फजर की नमाज़ पढ़ने आए लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने कुंडी तोड़कर शव को नीचे उतारकर जांच पूछताछ की जिसमें मस्जिद की देखरेख करने वाले जफरुद्दीन, गनी, सिद्दकी खान और इश्तियाक खान ने बताया कि कानपुर देहात के रसूलाबाद थाना क्षेत्र के उसरी निवासी हाफिज़ मुहम्मद जीशान रज़ा 20 वर्ष फफूंद के नांदपुर गांव की मस्जिद में इमाम थे।
मस्जिद के बाहरी हिस्से में बने कमरे में रहते थे। बृहस्पतिवार की रात वह इशा की नमाज पढ़ाकर कमरे में सोने चले गए थे। शुक्रवार सुबह फज्र की नमाज़ के लिए मस्जिद पहुंचे लोगों को इमाम मस्जिद में न मिलने पर लोग उन्हें कमरे पर बुलाने पहुंच गए। कमरे के दरवाजे अंदर से बंद होने व पुकारने पर जवाब न मिलने पर लोगों ने दरवाजे से झांक कर अंदर देखा तो उन्हें इमाम का शव पंखे पर लटकता मिला।
सूचना पर पहुंचे एएसपी दिगंबर कुशवाहा, सीओ अजीतमल भरत पासवान ने कमरे की कुंडी तोड़कर शव को फंदे से उतार कर घटना को जांच पड़ताल की। थानाध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि मृतक। हाफिज के परिजनों ने आर्थिक तंगी से आत्महत्या करने की बात कही है। परिजनों द्वारा पोस्टमार्टम न कराए जाने की बात पर पंचायत नामा के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया। इस संबंध में एएसपी दिगंबर कुशवाहा ने बताया कि सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचकर जानकारी की। जिसमें परिजनों की ओर से शव का पोस्टमार्टम व किसी भी प्रकार की अन्य कार्रवाई न कराने की बात लिखकर देने के कारण शव को पंचनामा की कार्यवाही के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया है।