राजस्थान

भारत की संस्कृति क़ायम रखने के लिए हमें भारत को भारत कहना चाहिए ना कि इंडिया – हज़रत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती

 

अजमेर। सेंट मैरी कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल अजमेर शरद पूर्णिमा के पूर्व आचार्य विद्यासागर महाराज की जन्म दिवस पर सर्व धर्म मैत्री संघ के द्वारा “मेरा शहर सद्भावना का शहर” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन स्कूल के सभागार में आयोजित किया गया जिसमें सभी धर्म के धर्मगुरुओ सामाजिक,राजनैतिक लोगो के साथ साथ स्कूली छात्राओं की सक्रिय सहभागिता रही ।
ऑल इंडिया सूफ़ी सज्जदानशीन कौंसिल के चेयरमैन और अजमेर दरगाह प्रमुख के उत्तराधिकारी हज़रत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि अजमेर की सद्भावना दुनिया के लिये एक मिसाल है अजमेर का संदेश अजमेर के लिये ही नहीं होता पूरे विश्व के लिए होता है यहाँ से निकला पैग़ाम दुनिया भर के लोगो के दिलो दिमाग़ पर असर करता है क्योंकि यहाँ एक ओर ख़्वाजा साहब की दरगाह है और दूसरी ओर ब्रह्मा जी की नगरी पुष्कर राज है जिस से पूरी दुनिया जुड़ी हुई है। अजमेर का सद्भाव भारत की एकता की पहचान है यहा जब किसी भी धर्म का धार्मिक जुलूस निकलता है तो अन्य धर्म के लोग उस पर फ़ुल बरसा कर सुवागत करते है एक दूसरे को गले लगाकर बधाई देते है ।
उन्होंने कहा कि आज भारत कि पहचान धार्मिक सद्भाव के लिए एक मिसाल है हमें इस पहचान को बनाए रखना है ।
अंत में हज़रत नसीरुद्दीन चिश्ती ने सभी छत्राओ से कहा की हाल ही में NCRT समिति ने जो सिफ़ारिश की है की इंडिया की जगह भारत लिखे जिस के लिए उन्होंने सभी स्कूली किताबों में बदलाव के लिए भी कहा है यह एक अच्छा कदम है क्यों की भारत की संस्कृति को क़ायम रखने के लिए हमें भारत को भारत कहना चाहिए ना कि इंडिया क्यों की भारत हमारी पहचान है , भारत हमारा सम्मान है और भारत ही हमारा अभीमान है ।