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हज़रत रफीउद्दीन शाह क़ादरी रहमतुल्ला अलैह का एक दिवसीय जश्ने उर्स मुबारक

आगरा। हज़रत रफीउद्दीन शाह क़ादरी रहमतुल्ला अलैह का एक दिवसीय जश्ने उर्स मुबारक हज़रत सय्यद फ़ैज़ अली शाह साहब की सरपरस्ती में बड़ी ही धूमधाम से बेलनगंज स्थित दरगाह पर मनाया गया।
बाद नमाज असर संदल चादरपोशी गुलपोशी हुई बाद नमाज मगरिब लंगर तकसीम किया गया बाद नमाज ईशा महफिले मिलाद शरीफ मीलाद मौलाना अमीर उद्दीन ने पढ़ा जो देर रात तक चला।
दरगाह के सज्जाद नशीन हजरत सैयद महबूब अली ने अपने खिताब में कहा कि बुजुर्गों के दरबार में हाजिरी लगाने से ही दिल की मुरादे पूरी होती है बुजुर्गों के साए से हमेशा फैज मिलता है क्योंकि अल्लाह रब्बुल इज्जत के दोस्त होते हैं इसे मांगी गई दुआएं कभी रद्द नहीं जाती इनका का सीधा अल्लाह रब्बुल इज्जत से वास्ता होता है इन बुजुर्गों के दर पर भिखारी भी बादशाह बन जाता है इनके दरों से ही आज तक हम सभी को फैज का दरिया मिल रहा है अगर हम सभी ने इन बुजुर्गों से मोहब्बत की तो हमारी मोहब्बत का सिला हमें कल हश्र के मैदान में यह बुजुर्ग देंगे क्योंकि इन फकीरों के लिए लिए काम करने वाला कभी मायूस नहीं होता और उसे बंदे पर कोई भी परेशानी नहीं आती यह बुजुर्ग अगर हम सभी को अपना बनाते हैं तो हमारे सारे काम अल्लाह रब्बुल इज्जत से अपने वसीले से कर लेते हैं क्योंकि अल्लाह रब्बुल इज्जत में कुराने पाक में खुद फार्मा दिया कि अगर मुझसे कोई भी मेरा बंदा वली अल्लाह के वसीले से दुआ मांगता है तो मैं उन दुआओं को अपनी बारगाह कुबूल फरमा लेता हूं हम सभी को इन बुजुर्गों के वसीले से अपनी दुआओं को मांगना चाहिए जिससे कि हमारी सारी दुआएं अल्लाह रब्बुल इज्जत कुबूल फरमा ले और हमारे जो भी काम है वह इन बुजुर्गों के करम से पूरी हो जाए।
जश्ने उर्स मुबारक में मुख्य रूप से इमरान उद्दीन , क़ासिम उद्दीन, शानू अली, हाजी मोहम्मद इलियास, अख्तर वारसी, हाजी मोहम्मद अफजल नियाजी, ज़ाहिद हुसैन ,अमीन चिश्ती ,ज़िया हाश्मी ,हाजी मुख़्तार अली ,हाजी अल्ताफ़ हुसैन, हाजी समी , इक़बाल अली ,अफ़ज़ल रईन, सईद उल्लाह माहिर आदि बड़ी संख़्या में लोग शामिल रहे.
दरगाह हज़रत रफीउद्दीन शाह क़ादरी हिन्दुस्तान के पहले मुहद्दिस में से हैं आगरा में उन की ख़ानक़ाह बहुत बड़ी और मशहूर ख़ानक़ाह थी