उत्तर प्रदेश

वरिष्ठ पत्रकार और रंगकर्मी योगेंद्र दुबे स्मृति व्यख्यनमाला-23 में हुई हिंदी पत्रकारिता के संकट पर चर्चा

आगरा। “आज संकट केवल हिंदी पत्रकारिता का नहीं है बल्कि समूची पत्रकारिता का है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अंग है और लोकतंत्र सवाल करना सिखाता है। पत्रकारिता सवाल करना ही भूल जाय तो उसी पत्रकारिता कैसे माना जा सकतापत्रकारिता का काम तारीफ करना नहीं, सवाल उठाना है।” यह कहना है हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार कमर वहीद नक़वी का। वह आज यहाँ वरिष्ठ पत्रकार और रंगकर्मी स्व० योगेंद्र दुबे की दूसरी पुण्यतिथि पर आयोजित ‘स्मृति व्याख्यानमाला’ में मुख्य वक्त की हैसियत से बोल रहे थे।

कार्यक्रम का आयोजन सांस्कृतिक संस्था ‘रंगलीला’, ब्रज की पहली महिला पत्रकार ‘प्रेम कुमारी शर्मा स्मृति आयोजन समिति’ और एसिड हमलों का शिकार महिलाओं का संगठन ‘शीरोज़ हैंग आउट’ की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
‘सत्य हिंदी डॉट कॉम’ न्यूज़ पोर्टल के सम्पादकीय मंडल के अध्यक्ष और ‘आज तक’ न्यूज चैनल के पूर्व प्रमुख नक़वी ने आगे कहा कि आज की हिंदी पत्रकारिता आस्था की पत्रकारिता बनकर रह गयी है। ऐसे में समाज की ज़िम्मेदारी तो है ही कि वह पत्रकारिता को दुरुस्त करे, पत्रकारों की ज़िम्मेदारी भी है कि वे ऐसा कुछ करें जिससे समाज में टूटन न हो। सोशल मीडिया की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इसने हिंदी पत्रकारिता को सुदृढ़ किया है और पत्रकारों की रीढ़ मज़बूत बनाने में मदद की है।


व्याख्यानमाला में दूसरे प्रमुख वक्ता वरिष्ठ पत्रकार, कथाकार और न्यूज़ पत्रिका ‘समयांतर’ (नई दिल्ली ) के संपादक पंकज बिष्ट ने कहा कि “पत्रकारिता का काम समाज में घटने वाली हर घटना को आलोचनात्मक नज़रिए से देखने का रहा है। आज वही नज़र नहीं आ रहा है।” उन्होंने कहा कि उनके पेशेवर जीवन का एक लम्बा हिस्सा सरकारी पत्रिकाओं की नौकरी में गुज़रा है लेकिन वहाँ भी सरकारी दबाव वैसा कभी नहीं देखा गया जैसा आज अखबारों में दिखाई पड़ता है।


कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन करते हुए बीआर० आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध ‘क०मु० हिंदी संस्थान’ के पत्रकारिता और जनसम्पर्क विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा० गिरिजाशंकर शर्मा ने कहा कि ” सन 1826 में हिंदी का पहला अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ जब छपा था तो उसके पहले सम्पादकीय में ही स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि “हम शासन की तमाम बुराइयों को उजागर करने का ज़िम्मा लेने के लिए जन्म ले रहे हैं। वह सम्पादकीय आज भी हिंदी के हर अखबार पर मौजूं है लेकिन सवाल यह है कि क्या वे इसका अनुपालन कर रहे हैं ? “


कार्यक्रम में बोलते हुए वरिष्ठ अतिथि और ‘प्रेस क्लब ऑफ़ आगरा’ के अध्यक्ष विवेक जैन ने हिंदी पत्रकारिता की दशा पर चिंता प्रकट की साथ ही हिंदी पत्रकारिता के उज्जवल भविष्य के प्रति आशा भी प्रकट की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डा० हर्षदेव ने कहा कि “हिंदी पत्रकारिता क्रमशः खड्ड में गिरती जा रही है। यदि इसे संभाला नहीं गया तो निःसंदेह लोकतंत्र के लिए घातक होगा। “


इस अवसर पर मुख्य वक्ताओं का परिचय उर्दू की वरिष्ठ लेखिका प्रो० नसरीन बेगम ने किया तथा अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि का स्वागत हिंदी के वरिष्ठ आलोचक डा० प्रियम अंकित ने किया। अन्य अतिथितियों का स्वागत रामभारत उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम के आयोजनकर्ता अजय तोमर और राकेश यादव थे।


कार्यक्रम के प्रारम्भ में वरिष्ठ रंगकर्मी और पत्रकार अनिल शुक्ल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम का महत्त्व और हिंदी पत्रकारिता तथा रंगकर्म में योगेंद्र दुबे के अभूतवपूर्व योगदान की विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन महेश धाकड़ ने किया। वरिष्ठ रंगकर्मी मनोज सिंह ने सभी आगंतुक जनों का धन्यवाद ज्ञापन किया।


कार्यक्रम में स्व० दुबे की पत्नी ममता दुबे, पुत्र प्रज्ञान दुबे रणवीर सिंह, नीरज जैन, चंद्रशेखर शर्मा,ओम ठाकुर, राजीव सक्सेना, आभा चातुर्वेदी, ज्योत्सना रघुवंशी, भावना रघुवंशी, सुनीता चौहान, सुषमा सिंह, रिमझिम वर्मा, कमलदीप, आर के भारती, शलभ भारती, रमेश पंडित, सीमान्त साहू, सैयस महमूद उज़ ज़मा, खावर हाश्मी, अज़हर उमरी, दानिश उमरी, हिमानी चतुर्वेदी, मनोज शर्मा, केके शर्मा, नरेश पारस, पीएस कुशवाहा, रवि प्रजापति, मनीषा शुक्ला, विजय तिवारी, रंजना सक्सेना, राजीव शर्मा सहित नगर के अनेक प्रमुख पत्रकार, साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी बड़ी संख्या में मौजूद थे।