उत्तर प्रदेश

कल साजन की लंबी उम्र की कामना करेगी सजनी क्या रहेगा व्रत का मुहूर्त क्या है पूजा विधि जानिए करवाचौथ की कहानी

आगरा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है।

करवाचौथ पर कौन सा रंग रहेगा शुभ

करवा चौथ के दिन सुहागन सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन आमतौर पर शादी का जोड़ा पहना जाता है लेकिन अगर वह संभव नहीं तो गहरे लाल रंग के परिधान या साड़ी पहनना शुभ माना जाता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। आओ जानते हैं कि इस बार कौनसा रंग करवा चौथ के लिए राशि के अनुसार शुभ रहेगा।

जानिए करवाचौथ की कथा

एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है। भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भी दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है।

वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो । उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उ छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है।

तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है।

एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि ‘यम सूई ले लो, पि सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो लेकिन हर कोई कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आर्शिवाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं।

जानिए करवा चौथ 2023 का शुभ मुहूर्त


इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 31 अक्तूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से हो रही है। यह तिथि अगले दिन 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा।
1 नवंबर को करवा चौथ वाले दिन चंद्रोदय 8 बजकर 26 मिनट पर होगा। वहीं इस दिन शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट रहेगा। इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा। इन दोनों शुभ संयोग की वजह से इस साल करवा चौथ का महत्व और बढ़ गया है।

करवाचौथ पूजा विधि

करवा चौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करलें और लकड़ी की चौकी बिछाकर उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें. साथ ही, उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें थोड़े-से अक्षत डालें।
इसके बाद कलश पर रोली, अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें।
तीन जगह चार पूड़ी और 4 लड्डू लें, अब एक हिस्से को कलश के ऊपर, दूसरे को मिट्टी या चीनी के करवे पर और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध कर रख लें। अब करवाचौथ माता के सामने घी का दीपक जलाकर कथा पढ़ें।
पूजा करने के बाद साड़ी के पल्ले और करवे पर रखे प्रसाद को बेटे या अपने पति को खिला दें. वहीं, कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें।
पानी से भरे हुए कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें. चन्द्रोदय के समय इसी कलश के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में डी जो कुछ भी बना हो, उसका भोग चंद्रमा को लगाएं. इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।

डिस्क्लेमर

समाचार किसी भी धार्मिक तथ्य की पुष्टि नहीं करता है।