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इंसानी सेहत का राज़ क़ुरआन की तीन आयतों में मौजूद है : ख़तीब मुहम्मद इक़बाल

आगरा । मस्जिद नहर वाली सिकंदरा के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज अपने सम्बोधन में लोगों को स्वस्थ रहने के बारे में क़ुरआन से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आजकल हर व्यक्ति इस बात से बहुत ज़्यादा परेशान है कि वो ख़ुद या उसके घर में कोई ना कोई बीमारी से जूझ रहा है। उन्होंने लोगों से सवालिया अंदाज़ में कहा कि क्या कारण है कि जितनी बीमारीयां आज हैं पचास साल पहले ऐसा नहीं था ? फिर ख़ुद ही बताया कि आज हमने क़ुरआन को छोड़ दिया है। ये बहुत बड़ा कारण है बीमार होने का। क़ुरआन की तीन आयतें ऐसी हैं कि अगर इन्सान इस पर अमल करे तो वो स्वस्थ रहेगा। इन-शा-अल्लाह। नंबर एक :- सूरह नंबर 7 आयत नंबर 31 में बताया गया है– “खाओ-पियो और हद से आगे ना बढ़ो।” इसमें बिल्कुल साफ़-साफ़ कहा है कि जितनी ज़रूरत हो बस उतना ही खाओ, ज़्यादा और अनावश्यक खाने से नुक़्सान ही होता है। हम ख़ुद सोच लें कि हमारा हाल क्या है ? हर एक को अपना ख़ूब अंदाज़ा है। नंबर दो :- सूरह नंबर 21 आयत नंबर 30 में कहा गया है– “और हर जीवित चीज़ को पानी से जीवन दिया गया।” यहां कहा जा रहा है कि आपको पानी से जीवन दिया। डॉक्टर के अनुसार अपने वज़न के हर एक किलो पर 20 मिली लीटर पानी, यानी अगर किसी का वज़न सत्तर किलो है तो वो कम-से-कम दो लीटर पानी पिये। यानी आठ गिलास पानी उस को हर हाल में पीना ज़रूरी है। इससे जिगर, गुर्दे और दिल अच्छी तरह से काम करेंगे। इन-शा-अल्लाह। नंबर तीन :- सूरह नंबर 78 आयत नंबर 10 और 11 में कहा गया है– “रात को आराम और दिन में अपना काम करो।” चिकित्सा के सिद्धांतों के अनुसार इन्सान रात को जल्दी सो जाए और सुबह जल्दी उठे, ये बेहतरीन नुस्ख़ा है जो ना आपका वज़न बढ़ाएगा और ना बीमार करेगा। इन-शा-अल्लाह। हम रात को देर तक जाग रहे हैं और देर से उठ रहे हैं। हमने अल्लाह के बनाये हुए सिस्टम को अपने तरीक़े से इस्तेमाल किया तो बीमारी हमारा ‘मुक़द्दर’ तो बनेगी ही। अल्लाह का बनाया हुआ सिस्टम हमारे फ़ायदे के लिए है लेकिन हम तो ‘बाग़ी’ हो चुके हैं। ना अल्लाह की मान रहे हैं, ना क़ुरआन को, अपने हिसाब से ‘जी’ रहे हैं। तो फिर शिकायत क्यों ? जब ख़ुद ही आप अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं तो बीमारीयां भी ‘झेलिये’। अल्लाह के बंदो ! अल्लाह अपने बंदों से बहुत मुहब्बत करता है। वो आपको स्वस्थ रखना चाहता है, बीमार नहीं। अल्लाह हम सबको सही सूझ-बूझ अता फ़रमाए। आमीन।