मेरी बातों में खुशबू नहीं होती अगर मेरी जँबा उर्दू नहीं होती
आगरा। विश्व उर्दू दिवस को उर्दू के जाने माने शायर डा० अल्लामा इकबाल के जन्म दिवस के रूप में मनाया गया। इस दिन डा० अल्लामा इकबाल को याद करते है उर्दू भाषा की शीरीनी मिठास हिन्दुस्तान की आजादी में उर्दू भाषा के योगदान को याद करते हैं।
जन्नत की जिन्दगी है। जिसकी फिजा में जीना मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो० पूनम सिंह ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि देश के प्रेम से जुड़ा नाम है डा० इकबाल का छात्राओं को उर्दू सिखना चाहिये। आप सब खुश खुशकिस्मत हैं कि आपको उर्दू पढ़ने का अवसर मिला है। आप भाषा को जानेंगे, तभी साहित्य पढ पायेंगे। भाषा को जिन्दा रखना जरूरी है।
उर्दू की विभागाध्यक्ष प्रो० नसरीन बेगम ने डॉ. इकबाल की शायरी पर प्रकाश डालते हुये कहा कि वो मैसेन्जर थे उन्होंने शायरी के जरिये मनुष्य की अहमियत को बताया। उन्होंने उर्दू जबान और हिन्दुस्तान की आजादी के गहरे रिश्ते के आरे में भी प्रकाश डाला। अन्म में छात्राओं ने उनके नज्म ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा’ गाया। कार्यक्रम के बाद सभी को धन्यवाद प्रो० नसरीन बेगम के द्वारा किया गया।