जीवन शैली

सालाना जलसा जश्न ए ग़ौस ए आज़म का आयोजन

आगरा। दरगाह हज़रत सय्यदना शाह अमीर अबुल उला (रह.) में सालाना जलसा जश्न ए ग़ौस ए आज़म का आयोजन दरग़ाह प्रांगण में मौरूसी सज्जादा नशीन सैय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई और नायब सज्जादगान सैय्यद विरासत अली अबुल उलाई, सैय्यद ईशाअत अली अबुल उलाई व सैय्यद कैफ़ अली अबुल उलाई व सैय्यद आसिम अली की मौजूदगी में किया गया, इसमें महफिल ए समां से शुरुआत होकर, कुरान शरीफ का पाठ दरगाह मस्जिद के इमाम अब्दुल वहाब साहब द्वारा किया गया.

जश्न ए ग़ौस ए आज़म को खिताब मुफ्ती मुदस्सिर खान कादरी, मुफ्ती काज़ी सैय्यद आफ़ाक हुसैन नक्शबंदी साहब, जनाब अरशद उर्रहमान साहब, शायर जनाब अनवार अमान साहब, जनाब हाजी सैय्यद गुलज़ार अली साहब, जनाब मु० आरिफ़ रज़ा क़ादरी अहसनी ने अपने कलाम पेश किए, निज़ामत अरशद रजवी साहब (फ़िरोज़ाबाद) ने की। इस मौके पर अल्लाह के वली हज़रत अब्दुल कादिर जिलानी रह. ग़ौस ए आज़म की आला सीरत पर बात की गई, उनकी करामातों पर प्रकाश डाला गया और उनके नातिया कलाम पड़े गए व दरबार ए सय्यदना सरकार में मुल्क की तरक्की, अमन चैन एकता व भाईचारे की दुआएं भी की गई। सैय्यद इकबाल अली, सैय्यद अरीब अली, सैय्यद शहाब अली, सैय्यद अज़हर अली, सूफी दिलकश जालौनवी, सूफी हज़रात व जायरीनों की शिरकत ने जलसे में चार चांद लगाएं।

ग़ौस ए आज़म रह. की एक करामात
एक दफा दरियाए दजला में सैलाब आ गया ! लोग घबराये हुए हुजूर ग़ौस ए आज़म रह. के पास आकर आपसे इस्तिग़ासा करने लगे और मदद चाहने लगे ।

हुजूर ग़ौस ए आज़म ने अपना असाए (लाठी) मुबारक लिया और दरिया की तरफ़ चल पडे, दरिया के किनारे पर पहुंचकर आपने पानी की असल हद तक वह असा गाड़ दिया और फ़रमाया:
“ऐ पानी ! बस यहीं तक !” इतना फ़रमाना था, कि पानी ने घटना शुरू कर दिया और उस असाए मुबारक तक आ गया ।

सबक : अल्लाह वालों की हुकूमत दरियाओं पर भी जारी रहती है।