कासगंज। गंजडुंडवारा के मोहल्ला खैरु लाल कुआं में भारत के पहले शिक्षा मंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्म दिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि भारत के पहले शिक्षा मंत्री होने के नाते मौलाना अबुल कलाम आजाद को शिक्षा के क्षेत्र में शिल्पकार कहा जाता है क्योंकि उन्होंने शुरुआती दौर में कई यूनिवर्सिटी, आईआईटी और आईआईएम की शुरुआत की। आज शिक्षा के क्षेत्र में भारत अपने आप को मजबूत पाता है उसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद का बहुत ज्यादा योगदान रहा है।
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक विद्वान तथा एक अच्छे पत्रकार भी थे। वह हमेशा भारत के विभाजन के खिलाफ थे तथा उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना की विभाजनकारी पॉलिटिक्स का हमेशा विरोध किया। इस अवसर पर बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी गांधी ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद हिंदू मुस्लिम एकता के पैरोकार थे और महात्मा गांधी जी की पॉलिटिक्स से प्रभावित होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हिस्सा लिया। मौलाना अबुल कलाम आजाद एक समाज सुधारक भी थे जिन्होंने समाज में आधुनिक और साइंटिफिक शिक्षा को आगे बढ़ाया।
इस अवसर पर बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता राशिद अली ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का मकसद लोगों को शिक्षा के अधिकार और शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करना है। मौलाना आजाद ने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा को आगे बढ़ाने में लगा दी। उन्होंने देश के बेहतरीन और आधुनिक शैक्षिक संस्थानों का निर्माण किया। मौलाना आजाद देश के सच्चे सिपाही थे।
सामाजिक कार्यकर्ता कुतुब जमाई ने कहा कि मौलाना आज़ाद सिर्फ़ एक क़ौम के नेता नहीं थे।अगर सिर्फ़ मुसलमान उनको अपना नेता मानें तो ये उनके साथ ज़्यादती होगी।
पहले आम चुनाव में नेहरू से इसी बात को लेकर मौलाना आजाद की नाराज़गी थी। जब नेहरू ने आज़ाद से कहा कि मौलाना आप अपने लिए कोई सुरक्षित सीट ले लें, नेहरू ने रामपुर का सुझाव दिया मगर मौलाना ने इसको नकार दिया और कहा कि मैने हर किसी को अपना माना है इसलिए मैं मुस्लिम बाहुल्य लोकसभा से चुनाव नहीं लड़ूंगा और फ़िर मौलान ने मेवात से चुनाव लड़ा। आज विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थान IIT, IIM भी मौलाना आज़ाद के दिमाग़ की उपज हैं। उन्होंने आगे कहा कि मौलाना आजाद जो राह दिखा के हमें गए हैं, हमारा फर्ज है कि हम उस नक्शे कदम पर चले और आगे यह भी जोड़ते हुए कहा कि मौलाना आजाद की रूह आज कहीं तो मुस्कुराई होगी कि एक छोटे से कस्बे में कोई तो उनको याद कर रहा है।
मुहम्मद स्वाले अंसारी ने कहा कि आईआईटी और आईआईएम के अलावा साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी भी मौलाना आजाद की देन है। एटा से आए हुए जहीर अहमद ने कहा कि आज यहां भी मौलाना आजाद जैसे रहनुमा की जरूरत है।
पुष्पेंद्र कुशवाहा जी ने कहा कि मौलाना आजाद हिंदू मुस्लिम एकता के बड़े पैरोंकर थे। पटियाली से आए हुए ईसार मियां ने कहा कि मौलाना आजाद की दिखाई राह पर चलना ही सही मायनों में उनको श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने आगे कहा कि मौलाना आजाद एक प्रोग्राम में पटियाली भी तशरीफ ला चुके हैं और उनके साथ मोतीलाल नेहरू भी थे।
मशहूर कवि शरद लंकेश पटियालवी ने कहा कि उनका परिवार बहुत पहले से मौलाना आजाद से जुड़ा हुआ है। ग्रीन पब्लिक स्कूल के मैनेजर वसीम मियां ने कहा कि मौलाना आजाद की पूरी जिंदगी ही हमारे लिए सबक है। कार्यक्रम का संचालन राशिद अली ने किया। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक कुतुब जामई, अब्दुल हफीज गांधी और राशिद अली, श्री अशोक कुमार शाक्य, ईसार खान पटियाली, लंकेश पटियाली, जहीर अहमद एटा, पुष्पेंद्र कुशवाहा, धीरेंद्र शाक्य, तारीक मेहमूद मंसूरी, वसीम खान, काशिफ अली, इसराइल मेंबर, असाहब हुसैन, तारिक फारूकी पटियाली, इमरान खान, खलील खान एडवोकेट तारिक़ मोहम्मद, आरिफ, हिलाल खान, मुनेंद्र शाक्य, नासिर खान, रिजवान कुरैशी, हैदर रिजवान आदि लोग मौजूद थे।