- घनी आबादी में टीबी के रोगियों की तलाश करेंगे स्वास्थ्य कर्मी
आगरा। भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक बार फिर “एक्टिव केस फाइंडिंग” अभियान ( सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान ) चलाया जाएगा, जिसमें टीबी के रोगियों की तलाश की जाएगी। जिले की 20 प्रतिशत आबादी में टीबी के मरीज तलाश करने के लिए 23 नवंबर से पांच दिसंबर के बीच अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने उसके लिए टीम गठित कर दीं हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में टीबी के करीब दस हजार रोगी निक्षय पोर्टल पर दर्ज हैं, जो उपचाराधीन हैं। फिर भी काफी मरीज अब भी जागरूकता के अभाव में स्वास्थ्य विभाग से संपर्क नहीं करते हैं और अपनी बीमारी को छिपाने का प्रयास करते हैं। ऐसे रोगियों को तलाश करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाने का खाका तैयार किया। अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय, कारागार, चिन्हित समूहों, ईंट भट्ठे, साप्ताहिक बाजारों आदि में संभावित क्षय रोगियों की तलाश स्वास्थ्य कर्मी करेंगे। अभियान में जिले की जनसंख्या की 20 प्रतिशत हाई रिस्क वाली आबादी में मरीजों को तलाश कर उनका उपचार किया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि क्षय उन्मूलन के लिए काफी लंबे समय से काम किया जा रहा। शिक्षण संस्थाओं, सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को जागरूक किया जाता है। धर्म गुरुओं से लोगों को टीबी होने पर दवा खाने के लिए अपील कराई जाती है। सबसे बड़ी समस्या भ्रांतियां के चलते जागरूकता का अभाव है। अब भी बड़ी संख्या में ऐसे मरीज हैं जो टीबी के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं और दूसरों को भी संक्रमित कर देते हैं। हालांकि धीरे-धीरे लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है, अब वह जांच और उपचार के लिए आगे आ रहे हैं ।
उन्होंने बताया कि एसीएफ अभियान को सफल बनाने के लिए जनपद में 372 टीम गठित की गईं हैं। इनका सहयोगात्मक पर्यवेक्षण 73 सुपरवाइजर करेंगे। टीम घर-घर जाकर लक्षणों के आधार पर टीबी मरीजों की पहचान करेंगी। इसके बाद मरीजों की जांच की जाएगी। जांच में टीबी की पुष्टि होने के बाद मरीज का उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यदि लगातार दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, खांसी के साथ खून का आना, छाती में दर्द और सांस का फूलना, वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस करना, शाम को बुखार आना और ठंड लगना जैसे लक्षण हैं तो टीम को जानकारी दें और अपनी जांच अवश्य करवाएं।
ब्लाक जैतपुर कला के पूराचतुर्भुज गांव के निवासी 15 वर्षीय अशोक (बदला हुआ नाम) बताते हैं “जब मैं दिल्ली में रहता था उस समय मुझे रोज रात को बुखार आता था l धीरे-धीरे बुखार तेज होने लगा और मुझे कमजोरी महसूस होने लगी, वजन भी काम हुआ , लगभग 20 दिन तक यह स्थिति रहने के बाद मैंने अपने माता-पिता को यह बात बताई तो उन्होंने मुझे तुरंत घर वापस आने के लिए कहा क्योंकि पहले मेरी मां को टीबी हुई थी और इसी तरह के लक्षण नजर आए थे । अशोक बताते हैं कि यह बात मार्च 2022 की है।
जब मैं अपने घर वापस आया उस दौरान टीबी की टीम लक्षणों के आधार पर मरीजों की खोज कर रही थी। टीम के सदस्य मेरे घर आए और मेरी जांच करने के लिए बलगम का सैंपल लिया, उसके बाद सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर सौरभ भदौरिया मेरे घर आए और उन्होंने मेरे परिवार को यह जानकारी दी कि मुझे फेफड़ों से संबंधित टीबी हो गई है, घबराने की कोई जरूरत नहीं है। छह महीने के उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे, लेकिन दवा का सेवन नियमित करना होगा, एक भी दिन दवा नहीं छोड़नी है, साथ ही पौष्टिक आहार का सेवन करना है। अशोक बताते हैं “मैंने उपचार के दौरान नियमित रूप से दवा का सेवन किया और डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। मुंह पर मास्क लगा लगा कर रहा, जिससे किसी अन्य को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
छह महीने के उपरांत सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर द्वारा मेरी दोबारा जांच कराएगी, जांच के बाद पता चला मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं और उपचार के दौरान पौष्टिक आहार के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत मेरे खाते में हर महीने 500 रुपए की धनराशि भी प्रदान की गई l अब मैं नियमित अपने पिता के साथ खेती-बाड़ी के काम में सहयोग करता हूं मुझे किसी भी प्रकार की कोई भी दिक्कत नहीं है l”
एक नजर पिछले एक्टिव केस फाइंडिंग अभियानों के आंकड़ों पर
वर्ष 2021 में 3246 संभावित क्षय रोगियों की जांच की गई, जिसमें 222 नए टीबी मरीज मिले ।
वर्ष 2022 में 2946 संभावित क्षय रोगियों की जांच की गई, जिसमें 238 नए टीबी मरीज मिले ।
वर्ष 2023 में 3598 संभावित क्षय रोगियों की जांच की गई, जिसमें 325 नए टीबी मरीज मिले ।
अभियान के दौरान मिले सभी टीबी मरीजों का उपचार पूर्ण हो गया है और वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।