जीवन शैली

मायूस न हों, अल्लाह की मदद आ कर रहेगी इन-शा-अल्लाह- मुहम्मद इक़बाल

आगरा | मस्जिद नहर वाली सिकंदरा के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज के सम्बोधन में “अल्लाह की मदद कब आएगी” के बारे में नमाज़ियों को सम्बोधित किया। उन्होंने पहले क़ुरआन की एक आयत का ख़ुलासा किया। सूरह यूसुफ़ आयत नंबर 110 में कहा गया है – “यहां तक कि जब रसूल मायूस हो गए और वो ख़्याल करने लगे कि उनसे झूठ कहा गया, तो उनको हमारी मदद आ पहुंची।” आप अंदाज़ा लगाएं कि किस हद तक इन्तिज़ार करना है जब कि रसूल ख़ुद मौजूद हैं और हम किस क़दर जल्दी मचाते हैं। मतलब ये हुआ कि इन्सान सीमा ख़त्म हो जाए कि इस को इंतिज़ार करने में बेहद मुश्किल हो जाये और मायूसी की तरफ़ जाने लगे तो एकदम अल्लाह की ‘मदद’ आजाती है। अल्लाह रब्बुलआलमीन की तरफ़ से ये बड़ी नेअमत सिर्फ़ नबियों के लिए नहीं बल्कि क़यामत तक आने वाले इन्सानों के लिए है। जो कोई भी क़ुरआन की इस सूरह का अध्धयन करेगा उसको इसका लाभ होगा। लेकिन शर्त ये है कि इन्सान पूरे यक़ीन और सब्र के साथ अल्लाह की मदद का इन्तिज़ार करे, किसी भी हाल में मायूसी का शिकार ना बने, अल्लाह रब्बुलआलमीन की रहमत का उम्मीदवार बना रहे। असल बात ये है कि हर हाल में आख़िरी साँस तक इन्सान को अल्लाह की रहमत पर इतना पक्का यक़ीन हो कि मेरा रब मेरी मदद ज़रूर करेगा। क्योंकि सही बुख़ारी की हदीस नंबर 3194 में ख़ुद अल्लाह ने फ़रमाया – “बेशक मेरी रहमत मेरे ग़ज़ब के ऊपर ग़ालिब है।” इसीलिए हमको हर हाल में ये यक़ीन रखना है कि अल्लाह की मदद ज़रूर आएगी। इन-शा-अल्लाह। अल्लाह तआला हम सबको पक्का यक़ीन वाला बनाए।