उत्तर प्रदेश

आध्यात्म की गहराई से लेकर कॉमिक्स की दुनिया तक, पुस्तक मेला बन रहा साहित्य की हर विद्या का साक्षी

अक्षरा साहित्य आकादमी के नौ दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला एवं साहित्य उत्सव का आयोजन


जीआइसी मैदान में लगे पुस्तक मेले में हिंदी, संस्कृत, अंग्रजी, उर्दू सहित अन्य भारतीय भाषाओं की पुस्तकें भी


स्कूली बच्चे पहुंच रहे अवलोकन करने, रविवार को मेले में होगी हैंडराइटिंग एवं पोस्टर मैकिंग प्रतियोगिता

आगरा। यदि ज्ञान को सदैव जीवित एवं वृहद बनाना चाहते हैं और चाहते हैं कि आपका दिया उपहार कभी भी पुराना न हो तो समाज में एक नई पहल आरंभ करें। फूलों के गुलदस्ते के स्थान पर पुस्तकें देना आरंभ करें। पुस्तकों के शब्द जीवन को उर्जावान करने के साथ ज्ञान की रोशनी भी देते हैं। यह बातें कहीं मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री परिवार एवं स्वास्थ कल्याण मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने।
जीआइसी मैदान पर अक्षरा साहित्य अकादमी द्वारा लगाए गए नौ दिवसीय पुस्तक मेला एवं साहित्य उत्सव का शुभारंभ हुआ। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल के साथ मधु बघेल, डॉ रंजना बंसल, महंत योगेश पुरी, नजीर अहमद, डॉ संजीव और प्रो. लवकुश मिश्रा ने दीप प्रज्जवलित किया। राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने सभी अतिथियों का परिचय दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विनोद माहेश्वरी, उपाध्यक्ष वत्सला प्रभाकर, सहसचिव कैप्टन शीला बहल, श्वेता अग्निहोत्री ने सभी का स्वागत किया। जॉन मिल्टन पब्लिक स्कूल के बच्चों ने गणेश वंदना की मनमोहक प्रस्तुति दी। प्रो एसपी सिंह बघेल ने कहा कि जीवन में बाबा साहब आंबेडकर के तीन सूत्र सदैव स्मरण रखें, शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो। आप कभी भी हारेंगे नहीं। उन्होंने उपहारों में पुस्तक और पौधे देने की पहल आरंभ करने की बात भी कही।
महंत योगेश पुरी ने कहा कि आगरा में पुस्तक मेले के आयोजन का आरंभ वरिष्ठ पत्रकार अमि आधार निडर ने किया था। कोविड काल ने उन्हें छीन लिया किंतु पुस्तक मेले की सौगात के रूप में वे आज भी हम सभी के साथ हैं। उन्होंने आए हुए स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पुस्तक और गैजेट्स में बहुत बड़ा फर्क ये है कि पुस्तकों का अध्ययन कल्पनाशक्ति को बढ़ाते हुए आनंदित करता है जबकि गैजेट्स का अधिक प्रयोग दिमाग को संकुचित कर निरस बनाकर थका देता है।
डॉ रंजना बंसल ने कहा कि हर छह माह में इस तरह के आयोजन आगरा की धरती पर होते रहने चाहिए। हर व्यक्ति यदि प्रतिदिन आधा घंटे भी पुस्तक पढ़े तो बहुत सारी बीमारियों से खुद को बचा सकता है।
प्रो.लवकुश मिश्रा ने पाठ्यक्रम की पुस्तकें योग्यता बढ़ाती हैं और साहित्य पढ़ने से संवेदनशील व्यक्तित्व बनता है। पुस्तकें जीवन दर्शन देती हैं। उद्घाटन सत्र के समापन पर राष्ट्रीय सचिव दीपक सिंह सरीन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सायंकाल द्वितीय सत्र में संगीत कला केंद्र द्वारा सुरीले नगमे की प्रस्तुति हुई। प्रेरणा और शुभ्रा तलेगांवकर के निर्देशन में आर्ची, लवेश और कल्पना ठाकुर ने सुगम संगीत से मंत्रमुग्ध किया। नीलम गुप्ता की तुलना दो विधाओं की और यवपुल गीत पुस्तक का विमोचन महंत योगेश पुरी ने किया।

रविवार को होगी हैंडराइटिंग एवं पोस्टर मैकिंग प्रतियोगिता−
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विनोद माहेश्वरी ने बताया कि नौ दिवसीय आयोजन में प्रतिदिन तीन− तीन सत्र होंगे। रविवार 26 नवंबर को बाल सत्र में स्वास्तिक हैंडराइटिंग एवं रिसर्च सेंटर द्वारा हैंडराइटिंग एवं पोस्टर मैकिंग प्रतियोगिता होगी। द्वितीय सत्र में प्रकृति और पर्यावरण पर परिचर्चा एवं तृतीय सत्र में माधुर्य साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था की प्रस्तुति होगी।

पुस्तक मेला के है ये मुख्य आकर्षण
स्टॉल संयोजक राजकुमार शुक्ला ने बताया कि पुस्तक मेले में राजस्थान, दिल्लली, महाराष्ट्र, मुंबई, रायपुर, नोएडा, तमिलनाडु आदि शहरों से 50 स्टॉल्स लगी हैं। स्टॉल्स पर धार्मिक, उर्दू, मैथाेलोजिकल कॉमिक्स, सहित कालजयी लेखक मुंशी प्रेमचंद्र, शरद चंद्र, रविंद्र नाथ टैगोर, शेक्सपीयर, एमली डिकिन्सन, मार्डन इंग्लिश आदि की हजारों पुस्तकें अपने पाठकों के इंतजार में हैं। मेले में प्रतिदिन विभिन्न स्कूलों के बच्चे अवलोकन करने पहुंचेंगे।

ये रहे मुख्य रूप से उपस्थित
उद्घाटन सत्र में हरविजय बाहिया, मुकेश जैन, रीनेश मित्तल, आरके कपूर, शमी अगाई, शारदा गुप्ता, डॉ अपर्णा पोद्दार, श्रीकृष्ण, प्रो. सुगम आनंद, आनंद राय, अनिमेष दयाल, रितु गोयल, डॉ माधवी कुलश्रेष्ठ, प्रो. आभा शर्मा, प्रो. चंद्रशेखर शर्मा, राकेश चंद्र शुक्ला, हेमलता त्रिवेदी, डॉ अरुण उपाध्याय, जयवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।