पुरस्कार दिल्ली की त्रैमासिक “अदब सिलसिला” द्वारा इलाहाबाद में कल दिया जायेगा। सम्मानित साहित्यकारों ने प्रसन्नता व्यक्त की
जालंधर : उर्दू भाषा और साहित्य के लिए पत्रकार मज़हर आलम मज़ाहिरी की बहुमूल्य सेवाओं की मान्यता में, 26 नवंबर, 2023 को “क़ैसर उल-जाफ़री: जीवन और सेवाएँ” नामक एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।
दिल्ली साहित्यिक संस्थान की ओर से “पंजाब राज्य में उर्दू पत्रकारिता के लिए “मुशर्रफ आलम ज़ौकी पुरस्कार” के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा।
इस खबर से उर्दू पत्रकारिता जगत, विशेषकर पंजाब के साहित्यिक हलकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। नवाब गार्डन, नूरुल्लाह रोड, इलाहाबाद में होने वाला यह एक दिवसीय सेमिनार जनाब सलीम अलीग साहब की अंथक प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने उर्दू भाषा की नई बस्तियों को बसाने के लिए इस कार्यक्रम की स्थापना की है। साहित्य। उन्होंने उर्दू को उसका हक दिलाने और उर्दू को घर-घर लाने की बात दोहराई।
याद रहे कि उर्दू पत्रकारिता की दुनिया में मजहर आलम मजाहिरी एक अहम नाम हैं। मजहर आलम मजाहिरी बिहार की उपजाऊ भूमि सहरसा जिले के फेकराही गांव के रहने वाले हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। इलाहाबाद में मदरसा वसीयत उल उलूम रोशन बाग, इलाहाबाद से मौलवी के रूप में 7 साल तालीम हासिल की। फिर मज़ाहिर उल उलूम, सहारनपुर से संद ए फरागत प्राप्त की। बाद में, उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने मौलाना आजाद ओपन यूनिवर्सिटी से उर्दू में मास कम्युनिकेशन में एम.ए किया और फिर व्यावहारिक जीवन में प्रवेश करते हुए वे जालंधर से प्रकाशित होने वाले दैनिक “हिंद समाचार उर्दू” पंजाब केसरी ग्रुप से जुड़े। अब तक उन्हें कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें पंजाब सरकार द्वारा “उर्दू पत्रकारिता के सर्वश्रेष्ठ पत्रकार” का पुरस्कार भी शामिल है, जिसे पंजाब के पुर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल, पुर्व डीजीपी इज़हार आलम, विधायक फ़रज़ाना आलम और वरिष्ठ अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष हाफिज तहसीन अहमद द्वारा सम्मानित किया गया था।
इस अवसर पर कई अकादमिक एवं साहित्यिक हस्तियों ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त की है।
बेतिया बिहार के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक तथा दर्जनों पुस्तकों के लेखक डा. नसीम अहमद नसीम ने कहा कि आज के दौर में मजहर आलम को सम्मानित करना पत्रकारिता एवं पत्रकारों में फैली गंदगी को साफ करने का पर्याय है क्योंकि आज पत्रकारिता बची ही नहीं है।और पत्रकारों की वह भूमिका नहीं जिसके लिए वह जाने जाते थे। लेकिन ऐसे अशांत समय में अगर मज़हर आलम ईमानदारी और पत्रकारिता के गुणों का उपयोग करके काम कर रहे हैं तो यह बहुत बड़ी बात है, यह उनका अधिकार है कि हम उनका सम्मान करें। बल्कि , उर्दू अकादमियों को कड़ी मेहनत करने वाले पत्रकारों को विशेष सम्मान से सम्मानित करना चाहिए ताकि ईमानदार पत्रकारों को प्रोत्साहित किया जा सके।