उत्तराखंड

17 दिनों बाद 41 जिंदगियों को मिला नया जीवन

उत्तरकाशी।उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक सुरंग में फंसे 41 जिंदगियों को आखिरकार 17 दिनों के बाद नई जिंदगी मिलती हुई दिखाई दे रही है। सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को अब धीरे-धीरे निकाला गया है। कुछ देर में सभी श्रमिक पूरी तरीके से बाहर होंगे। उन्हें मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया जाएगा। साथ ही साथ उन्हें हर तरह की सुविधा दी जाएगी। खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह सुरंग में मौजूद रहे। यह दोनों लगातार सुरंग के पास डटे रहे। सबसे पहले 5 श्रमिकों को बाहर निकाला गया। मंगलवार को बचाव अभियान अंतिम चरण में पहुंचने पर सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे एक श्रमिक के रिश्तेदार ने कहा, “मैं बहुत खुश हूं”।
उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को बाहर निकाले जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को सलाम किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के साहस और धैर्य की सराहना की तथा उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। उन्होंने लिखा कि उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।

केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा, “हमारे देश में जिस भी हमें ज़रूरत पड़ी वह प्रधानमंत्री ने मुहैया करवाई… जितने साधन जुटाए गए हैं इतने साधन किसी और ऑपरेशन के लिए नहीं जुटाए गए होंगे।” सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “इस पूरे अभियान में लगे हुए सभी कर्मचारियों, विशेषज्ञों, विज्ञानिकों, भारत संस्थाओं को मैं धन्यवाद करता हूं।…पीएम मोदी लगातार मेरे संपर्क में थे और बचाव अभियान का अपडेट ले रहे थे। उन्होंने मुझे किसी भी तरह सभी को सुरक्षित बचाने की जिम्मेदारी दी.. उनके समर्थन के बिना यह संभव नहीं होता। उन्होंने अभी मुझसे बात की और निर्देश दिया कि सभी का मेडिकल चेक-अप किया जाए… और उन्हें उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए…”

रैट-होल खनिकों को अपने ड्रिलर्स के साथ उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग से बाहर निकलते देखा गया। इसके अलावा, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को ढहने वाली जगह पर फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए अपने गियर के साथ प्रवेश करते देखा गया। 12 रैट-होल खनन विशेषज्ञ ढहने वाली जगह पर क्षैतिज उत्खनन पर काम कर रहे थे। रैट-होल खनन भारत में प्रचलित कोयला निष्कर्षण की एक आदिम और खतरनाक विधि है।
बचाव अभियान की सफलता की सूचना आते ही सुरंग के बाहर खड़े श्रमिकों ने जय श्रीराम के नाम का जयकारा लगाया। इससे पहले, लारसन एंड टयूबरों टीम का नेतृत्व कर रहे क्रिस कूपर ने श्रमिकों का इंतजार जल्द खत्म होने की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने संवाददाताओं को बताया था कि श्रमिक शाम पांच बजे तक बाहर आ सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि श्रमिकों तक पहुंचने के लिए विकल्प के तौर पर की जा रही लंबवत ड्रिलिंग को अब रोक दिया गया है। भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग के दौरान शुक्रवार को मशीन के कई हिस्से मलबे में फंसने के कारण काम में व्यवधान आ गया। इसके बाद सुरंग में हाथ से ड्रिल कर पाइप डालने की रणनीति अपनाई गयी।
साभार -प्रभासाक्षी