संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। विभागीय सुस्ती से परिषदीय विद्यालयों की सूरत संवारने की कोशिश दम तोड़ रही है। कायाकल्प के 19 पैरामीटर से संतुष्ट करने का शासन ने लक्ष्य 31 मार्च 2023 रखा था, लेकिन फिर भी कई विद्यालय इस पैमाने को पूरा नहीं कर सके। उसके बाद से विद्यालयों में कायाकल्प के कार्यों को कराने की रफ्तार धीमी पड़ गई है। नए सत्र में 1 अप्रैल 2023 को सभी विद्यार्थियों को किताबें मिलनी थी, लेकिन अभी भी कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां किताबें नहीं है। यही आलम प्रोजेक्ट कायाकल्प का है।
शासन ने 31 मार्च 2023 तक सभी विद्यालयों को कायाकल्प के 19 पैरामीटर से संतृप्त करने का लक्ष्य तय किया था। इसकी लगातार निगरानी भी की गई, लेकिन 31 मार्च के बाद भी तमाम विद्यालयों में कार्य अधूरे रह गए थे। जिसके बाद शासन ने सितंबर तक का समय 19 पैरामीटर पूरे करने का दिया। लेकिन स्थिति यह है कि कायाकल्प के कार्यों की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है। शासन हो या विभाग कायाकल्प के कार्यों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। फर्नीचर भी नहीं है।
जब भी विभागीय अधिकारियों से कायाकल्प के कार्यों की बात की जाए तो वे बजट का रोना रोने लगते हैं। पठन-पाठन तो दूर की बात है, बिजली, पानी भी अब तक 100 प्रतिशत विद्यालयों में नहीं सका है। हालांकि कुछ दिन पहले ही परिषद ने कायाकल्प के कार्यों को कराने के लिए कुछ बजट जारी किया है।बीएसए आफिस से बताया गया कि विद्यालयों में कायाकल्प का काम लगातार जारी है, हाल ही में परिषद ने कुछ विद्यालयों में कार्य कराने के लिए बजट जारी किया है।