उत्तर प्रदेशराजनीति

यह विधेयक भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा नारी शक्ति वंदन अधि.2023 पारित होना, संसदीय यात्रा का स्वर्णिम क्षण-. सभापति

सांविधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान उ.प्र. के तत्वावधान में “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023”-ऐतिहासिक समग्र विकास संकल्प की सकारात्मक अवधारणा विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी (सेमिनार) का हुआ शुभारंभ

सेमिनार के प्रथम दिन विधान परिषद के सभापति श्री कुंवर मानवेंद्र सिंह जी ने मुख्य अतिथि के रूप में दीप प्रज्ज्वलित, व मां सरस्वती प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया शुभारंभ

प्रथम दिन,केंद्रीय हिंदी संस्थान के अटल बिहारी वाजपेई अंतर्राष्ट्रीय सभागार में विभिन्न सत्रों में विद्वान वक्ताओं ने रखे अपने विचार

कल 18 दिसंबर को ग्रैंड होटल, माल रोड,आगरा कैंट में सेमिनार का होगा समापन

आगरा। सांविधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान उ.प्र. के तत्वावधान में “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023”-ऐतिहासिक समग्र विकास संकल्प की सकारात्मक अवधारणा विषय पर 17 व 18 दिसंबर को दो दिवसीय विचार गोष्ठी (सेमिनार) के आयोजन के क्रम में आज सेमिनार के प्रथम दिन केंद्रीय हिंदी संस्थान के अटल बिहारी वाजपेई अंतर्राष्ट्रीय सभागार में सेमिनार का भव्य शुभारंभ मा. सभापति उ.प्र.विधान परिषद श्री कुंवर मानवेंद्र सिंह जी द्वारा सरस्वती प्रतिमा पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।


सभापति ने सभागार प्रवेश से पूर्व सर्व प्रथम भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेई जी के चित्र पर माल्यार्पण किया,कार्यक्रम का शुभारंभ मनःकामेश्वर मंदिर के महंत जी तथा उनके साथ आई विदुषी बेटियों ने वैदिक ऋचाओं की गणेश वंदना से हुआ, तत्पश्चात आगरा की उभरती खिलाड़ी तथा राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रिया सिंह का मा. सभापति जी ने अभिनंदन किया। पदमश्री श्रीमती उषा यादव तथा राज्य महिला आयोग की मा.सदस्य श्रीमती निर्मला दीक्षित जी द्वारा मा. सभापति जी व डॉ.राजेश सिंह, प्रमुख सचिव, विधान परिषद का स्वागत, शॉल ओढ़ाकर तथा मोमेंटो देकर किया गया, कार्यक्रम में सरस्वती वंदना तथा बंदे मातरम का गायन अपने सुमधुर कंठ से डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने किया।

कार्यक्रम में नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 पर विभिन्न विद्वान वक्ताओं ने अलग अलग सत्रों में अपने विचार रखे। श्रीमती निर्मला दीक्षित, प्रो. ब्रजेश चंद्रा, एमएलसी डॉ. आकाश अग्रवाल, अरूण यादव, पूर्व एमएलसी महेश आर्य आदि ने अपने संबोधन दिए।
मा. सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह जी ने सेमिनार/गोष्ठी के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मैं सभी को हृदय से धन्यवाद देता हूँ कि आप सभी इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए उपस्थित हुए हैं।आप सभी की इस गोष्ठी में उत्साहपूर्वक सहभागिता यह दर्शाता है कि इस बुनियादी एवं महत्वपूर्ण विषय पर आप लोग कितने जागरूक और संवेदनशील हैं।

इस विषय के प्रति आपकी चिन्तन शीलता भारतीय समाज को मजबूती प्रदान करेगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस विचार गोष्ठी में मंथन के पश्चात् जो विचार आएंगे वह भारतीय समाज एवं महिला सशक्तिकरण के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।”नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023-ऐतिहासिक समग्र विकास संकल्प की सकारात्मक अवधारणा” एक बहुत ही महत्वपूर्ण, समसामयिक एवं विचारणीय विषय है, इस महत्वपूर्ण विषय पर जो भी विचार इस विचार गोष्ठी में आएंगे उन महत्वपूर्ण विचारों को हम केन्द्रीय शाखा को भेजेंगे, उम्मीद है केन्द्रीय शाखा द्वारा उन सुझावों पर विचार किया जाएगा और आवश्यक्तानुसार उसे अंगीकृत किया जाएगा।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि विचार गोष्ठी में इस विषय पर आप सभी विद्वत्जनों के महत्वपूर्ण मार्गदर्शन और सुझाव प्राप्त होंगे, जिससे भारतीय समाज को एक नई दिशा मिलेगी,जिस समाज में नारी का स्थान सम्मानजनक होता है, वह उतना ही प्रगतिशील और विकसित होता है। भारतीय समाज में वैदिक काल में नारी का स्थान बहुत सम्मानजनक था और हमारा अखण्ड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना जाता था। कालान्तर में नारी की स्थिति में गिरावट आयी और मध्यकाल आते-आते यह गिरावट अपने चरम पर जा पहुँची। ब्रिटिश काल में भी भारतीय नारी की स्थिति में मे कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। आजादी के बाद कानूनी स्तर पर नारी को सशक्त बनाने के प्रयास तो खूब हुए, किन्तु सामाजिक स्तर पर जो बदलाव आना चाहिए था वह परिलक्षित नहीं हुआ।

हालांकि यह सच है कि स्वतंत्रता के बाद अपनाए गए विभिन्न कार्यक्रमों और नारी अधिकारों के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों के कारण महिलाओं की स्थिति में गुणात्मक सुधार हुआ है, और इसी कारण आज देश की आर्थिक गतिविधियों में नारी की सहभागिता दर में वृद्धि भी दिखाई दे रही है किन्तु लैंगिक आधार पर विषमता स्पष्ट दिखाई देती है। यही कारण है कि भारत में आज तक महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाने वाला ‘महिला आरक्षण विधेयक’ लागू नहीं हो पाया था। जब तक राजनीति में महिलाओं की भागीदारी नहीं बढ़ेगी तब तक सही अर्थों में उसका सशक्तिकरण नहीं हो सकेगा।दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

समाज में महिलाओं की भागीदारी को लेकर उसकी स्थिति अच्छी नहीं रही है। भारत में,पंचायतीराज के जरिए महिलाओं को आधारभूत आरक्षण दिए जाने के कई दशक बीत चुके हैं, भारत के कई राज्यों की सरकारों का नेतृत्व महिलाओं ने किया है, वहीं देश में राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री बनने के अवसर भी महिलाओं को मिला है। महिला आरक्षण का मुद्दा काफी पुराना है। करीब 27 वर्ष पहले महिलाओं को संसद और विधान सभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा उठा था। महिला आरक्षण बिल कई बार लोकसभा में पेश भी किया गया लेकिन आम सहमति कभी नहीं बन पायी

।आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में दृढ़ निश्चयी सरकार ने नवनिर्मित संसद भवन का पहला विधेयक 128वाँ संविधान संशोधन विधेयक के रूप में प्रस्तुत हुआ जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम- 2023 नाम दिया गया। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने विधेयक का पारित होना भारत के संसदीय यात्रा का स्वर्णिम क्षण माना है। इसमें कोई दो राय नहीं कि वर्तमान संदर्भों में यह विधेयक महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। सर्वप्रथम तो इस बिल का नाम ही ध्यान देने योग्य है-‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’।

इससे स्पष्ट ध्वनित होता है कि नारियों में शक्ति-सामर्थ्य तो भरपूर थी, और है लेकिन अभी तक उसका वंदन अर्थात उसकी सही पहचान और देश के सर्वांगीण विकास में उसका सार्थक उपयोग बाकी था जो इस बिल के पारित होने और तद्नुसार कानून बनने के पश्चात किया जा सकेगा।हमारे संविधान की प्रस्तावना में व्यक्त की गई आकांक्षाओं के अलावा अनुच्छेद 14, 15(3) 39 और 46 में सामाजिक न्याय एवं अवसर की समानता की बात कही गई है ताकि राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के खिलाफ भेद-भाव को खत्म करने के लिए उचित उपाय किए जा सकें। देश का आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य तभी तेजी से बदलेगा जब आने वाले समय में आवश्यक बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य देख-भाल और भारत को बदलने की जिम्मेदारी में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। परिवर्तन पुरुषों की मानसिकता में भी बदलाव लाएगा।

आजादी के 75 सालों बाद देश सदियों पुराने स्वप्न को पूरा करने जा रहा है, जिसमें सभी लोगों को एक लक्ष्य, एक दिशा की तरफ तीव्र गति से आगे बढ़ने के लिए मिलकर कार्य करना होगा। इस कसौटी पर हम कितने खरे उतरेंगें, यह आने वाला समय ही बताएगा। मुझे उम्मीद है कि इस विचार गोष्ठी में विद्वान वक्ता जब नारी शक्ति वंदन अधिनियम विषय पर विचार रखेंगे तब उन्हें वर्तमान वैश्विक संदर्भ में भारतीय महिलाओं की स्थिति का ध्यान रखना होगा, साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों पर भी विचार-विमर्श करना होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस विचार गोष्ठी के माध्यम से नारी शक्ति वंदन अधिनियम विषय पर विद्वान वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत विचार देश के विकास एवं लोकतंत्र की मजबूती के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।

इसी मंगलाशा के साथ उम्मीद करता हूँ कि आप सभी विद्वत्जनों के सहयोग से यह विचार गोष्ठी पूर्ण रूपेण सफल होगी। संगोष्ठी से प्राप्त विचारों को सांविधानिक एवं संसदीय संस्थान केंद्रीय सभा को प्रेषित करेगा। संगोष्ठी का समापन कल 18 दिसंबर को ग्रैंड होटल,माल रोड, आगरा कैंट पर होगा। सेमिनार में प्रमुख सचिव विधान परिषद राजेश सिंह, विधान परिषद सदस्य आकाश अग्रवाल, पदमश्री उषा यादव, मा.राज्य महिला आयोग सदस्य निर्मला दीक्षित, प्रो.सुंदर लाल, प्रो.ब्रजेश चंद्रा, डॉ.रुचि चतुर्वेदी, विनीत पांडे के अलावा विद्वान वक्ताओं सहित 100 से अधिक गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।