मुस्कान पार्क, सेक्टर आठ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के
पांचवे दिन माखन चोरी लीला संग हुआ गोवर्धन लीला प्रसंग
- मां कामाख्या शक्ति पीठ के पीठाधीश्वर कीर्ति महाराज ने किया श्री कृष्ण चरित मानस का विमोचन
− आचार्य श्रीकृष्ण प्रकाश पाठक बोले भगवान जिज्ञासा विषय हैं न कि परीक्षा का, दिया अहंकार दूर रखने का संदेश
आगरा। सेक्टर आठ, आवास विकास कॉलोनी स्थित मुस्कान पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिन बाल लीला, माखन चोरी और इंद्र मर्दन लीला संग गोवर्धन पूजा लीला प्रसंग हुए। साथ ही छप्पन भोग के दिव्य दर्शन हुए।
शुक्रवार को जजमान श्रीकांत शर्मा और भावना शर्मा सहित मुख्य संरक्षक डॉ पार्थ सारथी शर्मा, अशाेक चौबे और राजेश चतुर्वेदी ने भागवत जी का पूजन किया।
लीला प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा व्यास श्रीकृष्ण प्रकाश पाठक ने कहा कि पूर्व जन्म की घाेर तपस्या के कारण नंद बाबा और यशोदा के घर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अवतार में पधारे तो हर ब्रजवासी निहाल हो उठा। माखन चोरी लीला का अर्थ भी दिव्य है। ब्रजजनों के मन को सुख देते हुए उनके हर पाप को चुराना श्री नारायण का ध्येय रहा। पूतना, बकासुर आदि असुरों के उद्धार लीला का वर्णन किया गया। ब्रह्मा जी का मोह भंग कर भगवान ने पूरी सृष्टि पुनः रच दी। कथा व्यास ने कहा कि भगवान जिज्ञासा के विषय हो सकते हैं किंतु परीक्षा के विषय कदापि नहीं हो सकते। दामोदर लीला के बाद वृंदावन में धेनुकासुर वध, कालिया मर्दन आदि लीला की। भगवान जिनसे प्रेम करते हैं उनका सर्वप्रथम अंहकार नाश करते हैं। गोवर्धन लीला के द्वारा भगवान ने अपने पिता नंदबाबा को कर्म का उपदेश दिया एवं प्रकृति संरक्षण का ज्ञान दिया तो वहीं इंद्र का मान मर्दन भी किया। इसके साथ ही गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना उपस्थित सभी श्रद्धालु ने भजनों पर झूमते हुए उत्साहपूर्वक पूर्ण की। दिव्य छप्पन भोग के दर्शनों का लाभ अंत में सभी ने लिया। इस अवसर पर सौरभ शर्मा, दिनेश मिश्र, हरिओम शुक्ला, शिवम, विनीत, सुरेश, कौशल किशोर, लव, मोहिनी शर्मा, राधा शर्मा, शिल्पी, मुकेश वर्मा, नरेंद्र आदि उपस्थित रहे।
श्रीकृष्ण चरित मानस का हुआ विमोचन
कथा प्रसंग के मध्य कामाख्या पीठ से पधारे पीठाधीश्वर कीर्ति महाराज ने देवेंद्र सिंह परमार की कृति श्रीकृष्ण चरित मानस का विमोचन किया। रचनाकार देवेंद्र सिंह परमार ने बताया कि पुस्तक में भगवान श्रीकृष्ण के 125 वर्ष के जीवनकाल वृतांत का काव्यमय वर्णन किया गया है। हर रचना की ब्रज भाषा में टीका भी है। ये अपनी तरह का श्रीकृष्ण को समर्पित पहला ग्रंथ है। श्रीकृष्ण चालीसा, विष्णु चालीसा सहित हवन क्रिया एवं श्रीकृष्ण के 108 नामों की आहुतियों की भी रचना की गई है।