पाकिस्तान से यात्रियों के भेष में आने वाले आतंकियों के गुर्गों की उच्च स्तरीय जांच हो : शाही इमाम पंजाब
लुधियाना। ऐतिहासिक जामा मस्जिद के बाहर जुम्मा की नमाज के बाद मजलिस अहरार इस्लाम हिंद की ओर से कादियानी जमात के मुखिया रहे मिर्ज़ा गुलाम कादियानी का पुतला फूंक रोष प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी के नाम एक ज्ञापन भी जिला प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से भेजा गया, जिसमें यह मांग की गई कि आने वाले दिनों में कादियान में पाकिस्तान से आने वाले यात्रियों के भेष में शरारती तत्वों के वीजो को रद्द किया जाना चाहिए।
इस मौके पर मजलिस अहरार के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पंजाब के शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि पाकिस्तान से कादियान आने वालों का वीजा तुरंत रद्द करें क्योंकि यह यात्रियों के भेष में आतंकी गुटों के गुर्गे हैं जो कि भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शाही इमाम ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय कादियानी जमात अंग्रेजों के साथ थी और स्वतंत्रता संग्राम के बाद भी लगातार इनके कई सदस्य आतंकवादी गतिविधियों में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं। शाही इमाम मौलाना उस्मान लुधियानवी ने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि पाकिस्तान से कादियान आने वालों की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए, क्योंकि जब भी यात्रा के नाम पर यह लोग भारत आते हैं, उसके बाद देश में कहीं ना कहीं कोई आतंकी वारदात हो जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में जो भी राजनीतिक लोग धर्म के नाम पर राजनीति करते हुए मुसलमानों की विरोधता में कादियानियों का साथ देना चाहते हैं उन्हें एक बार कादियानी जमात का इतिहास और वर्तमान में इनकी धर्म परिवर्तन की गतिविधियों और आतंकी गतिविधियों को देख लेना चाहिए, कहीं ऐसा ना हो कि वह इस्लाम की विरोधता के चक्कर में देश की एकता और अखंडता को तोडऩे वालों का साथ देते रहे। शाही इमाम ने कहा कि देश के मुसलमानों ने हमेशा ही अपने वतन के लिए कुर्बानी दी हैं लेकिन इतिहास भी इस बात का गवाह है कि जब हम अंग्रेज के खिलाफ लड़ रहे थे तो जमात-ए-कादियान के मुखिया और इनके लोग अंग्रेजों का साथ दे रहे थे और स्वतंत्रता सेनानियों की विरोधता करते और अंग्रेजी शासन को मजबूत करने के लिए किताबें लिखते रहे जो कि इतिहास का एक शर्मनाक हिस्सा है। वर्णनयोग है कि जमात-ए-कादियान की स्थापना 1890 के करीब मिर्जा कादियानी ने अंग्रेजी साम्राज्य का साथ देने के लिए की थी जिसका मुख्य उद्देश्य था कि मुसलमान को स्वतंत्रता संग्राम से अलग किया जाए ताकि अंग्रेज अधिक समय तक भारत पर अपना कब्जा जमाए रखें।