पंजाब

लुधियाना में मजलिस अहरार इस्लाम हिंद का 94वां स्थापना दिवस मनाया गया

 देश, धर्म और समाज की रक्षा के लिए कुर्बानी देने को तैयार है, शाही इमाम उस्मान लुधियानवीं 


लुधियाना. भारत की जंग-ए-आजादी में शामिल रही मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था मजलिस अहरार इस्लाम हिंद का 94वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर अहरार के तत्कालीन अध्यक्ष व शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवीं ने पार्टी का ध्वज लहराते हुए एक बार फिर यह संकल्प दोहराया कि जिस तरह देश मे स्वतंत्रता संग्राम के समय मजलिस अहरार इस्लाम ने अंग्रेज के टोढिय़ों और देश के गद्दारों को बेनकाब किया था उसी तरह आगे भी अहरार देश के गद्दारों को बेनकाब करते रहेंगे।

इस अवसर पर मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि हमें इस बात का गर्व है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी, मौलाना अता उल्लाह शाह बुखारी, मास्टर ताजुद्दीन लुधियानवी सहित हजारों अहरार लीडरों और कार्यकर्ताओं ने ना सिर्फ अंग्रेजी जेल काटी बल्कि फांसी के फंदों को भी चूमा।

मौलाना उस्मान लुधियानवी ने कहा कि आज भी देश में जो गद्दार चांदी के सिक्कों की खातिर अपना ईमान बेच चुके है उनको बेनकाब करना बहुत जरुरी हैं। उन्होने कहा मजलिस अहरार के कार्यकर्ता अपने देश के लिए, धर्म के लिए, समाज से लिए व आपसी भाईचारे के लिए हर बलिदान देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि अहरार पार्टी ने देश में जब अंग्रेजी शासन था और फूट डालो व राज करो की नीति चल रही थी उस समय भी हिंदू-सिख-मुसलमानों को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। वर्णनयोग है कि मजलिस अहरार इस्लाम की स्थापना 29 दिसंबर 1929 को भारत के स्वतंत्रता संग्राम को बल देने के लिए महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी, अता उल्लाह शाह बुखारी व अन्य लोगों ने की थी। अहरार पार्टी के हज़ारों ही कार्यकर्ताओं ने अंग्रेज के खिलाफ आंदोलन चलाया और देश की आजादी तक लगातार अपनी मातृभूमि को आजाद करवाने के लिए लड़ते रहे। आजादी के बाद भी यह संस्था देश में आपसी भाईचारे को मजबूत करने के साथ-साथ अपना ईमान बेच चुके गद्दारों के खिलाफ लगातार काम कर रही है।