संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। जिले की पैलानी तहसील की “खेरई बालू खदान अवैध खनन के लिये इन दिनों विशेष चर्चा” में उभरी है। “पहलवान ट्रेडर्स के नाम से बालू खदान की कंपनी अवैध बालू खनन की पहलवानी दिखा रही है”। यहां का “दबंग ठेकेदार जिला प्रशासन को चैलेंज के मूड में ताल ठोंक रहा” है ? मानों है “कोई माई का लाल जो उसके अवैध खनन को लगाम लगा सके”। चौंकाने वाला दुस्साहस भरा आलम यह है की “यहां अवैध खनन की सीमायें लांघ दी गई हैं। योगी सरकार की खनन नीति यहां भी ठेंगे” पर हैं। नियमों की अनदेखी कर खनन अनवरत जारी हैं।
प्रशासन में “गजब” की “खामोशी” हैं। इस खंड में खनन नियमावली को ताक में रख दिया गया है। पोकलैंड मशीनों द्वारा खनन दिन-रात चल रहा है। इसके अलावा “निर्धारित क्षेत्र से अलग हट कर भी खनन को अंजाम दिया” जा रहा है। “तलहटी क्षेत्र भी अवैध खनन से गहरे तालाब से हो गये हैं !कभी भी बड़े हादसे की शंका को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता”।
खदान खेरई में खास बात यह है कि “डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के आदेश के बावजूद यहां सीसी टीवी कैमरो को चालू नहीं रखा गया। ओवरलोडिंग का खेल बदस्तूर जारी” है। संबंधित “अधिकारी एवं ठेके दार माला-माल हो सरकार के विरुद्ध अट्टाहस कर रहे है? खनन सीमा से इतर होकर रात दिन अवैध खनन हो रहा है। “प्रत्यक्षम किम प्रमाणं” पर गजब की “नजर अंदाजी” देखने को मिल रही है !
एक खतरनाक स्थिति यह भी है बाकायदा असलहा धारी इनकी निगरानी करते है। क्या मजाल कोई गांव वाला इनका विरोध करे।
आपको बता दें की “खेरई बालू खदान चालू होते ही अवैध खनन नें जोर पकड़ अट्टाहास करना शुरू कर दिया” है। हम किसी से कम नहीं की तर्ज पर “सरकारी राजस्व को करोड़ों का चूना लग रहा है। साथ ही प्रशासन की “खामोशी” से “योगी सरकार की खनन नीति” की धज्जियां उड़ रहीं हैं?