संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। मुख्य मंत्री योगी जी बांदा में गौसंरक्षण के नाम पर आपका पचास करोड़ से ज्यादा एक साल में प्रशासनिक कफन खोरों नें हजम कर लिया। गोवंश सड़कों पर पूर्व की भांति विचरण कर रहें हैं। अपने औऱ दूसरों के लिये मौत का सबब भी बनते जा रहें हैं। गजब एवं बेशर्मी की बात यह पशुपालन विभाग के अभिलेखों में जिला अन्ना पशुओं से मुक्त हैं। गोशालाओं में शत-प्रतिशत पशु संरक्षित हैं, जबकि हकीकत यह है कि हजारों पशु गांव व शहर की सड़कों पर अन्ना हैं। पशुओं की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। औऱ वह खुद भी दुर्घटना ग्रस्त हो रहें हैं।
ताजी घटना में सोमवार को बड़ोंखर ब्लाक रेलवे लाईन पर आठ गौवंशों के शव नें भ्रष्टाचारियों के आंकड़ों औऱ निर्लज्जता को तमाचा मारा है। तीन साल में 50 करोड़ से अधिक खर्च होने के बाद भी यहां के लोगों को अन्ना पशुओं से निजात नहीं मिली हैऔर न ही सही मायनों में इन्हें संरक्षित किया गया है। सुन हरे आंकड़े दिखाए जा रहें हैं लेकिन हकीकत में सब कुछ रेत के महल की तरह ढेर है।
जिले में पशुओं के संरक्षण के लिए अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल सहित कान्हा गोशाला, कांजी हाउस, वृहद गो संरक्षण केंद्र स्थापित है। पशुओं के रख-रखाव सहित भरण पोषण के नाम पर प्रति वर्ष 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे है। पशुपालन विभाग का दावा है कि लक्ष्य के से अधिक अन्ना पशु गोसंरक्षण केंद्रों में संरक्षित है, लेकिन हकीकत इससे परे है। हजारों की संख्या में अन्ना मवेशी गांव व शहर की सड़कों पर छुट्टा धूम रहे है। किसानों की फसल चट कर करने के साथ ही रात के समय यह वाहनों एवं अपने लिये दुर्घटना का सबब बने हुए है। मौजूदा समय में अधिकांश गोआश्रय स्थल खाली हैं। इक्का दुक्का ही पशु संरक्षित है। केयर टेकर यह कहकर गुमराह कर रहे है कि पशु चरने गए है। जब कि पशु पूरी तरह से छुट्टा है। रात के समय कुछ पशु चरकर खुद ही गोशाला आ जाते है।