संवाद/ विनोद मिश्रा
चित्रकूट। राष्ट्रीय रामायण मेला को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने के लिये मेला समिति नई ऊर्जा के साथ प्रयासरत है। मुख्य मंत्री योगी की मेले को अति भव्य स्वरूप देने के मनोकामना पूर्ण करने और सहयोग के आश्वासन से मेला समिति में विशेष उत्त्साह है। भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में आयोजित होने वाला पांच दिवसीय राष्ट्रीय रामायण मेले की शुरुवात आठ मार्च शिवरात्रिसे होगी।
इस मेले के इतिहास के झरोखों में जायें तो इसकी परिकल्पना समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया ने की थी।1973 में शुरू हुए इस राष्ट्रीय रामायण मेले में अब तक देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और अटल बिहारी बाजपेयी समेत दर्जनों केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल शिरकत कर जहां आयोजन की शोभा बढ़ाते रहे हैं। वहीं देश-विदेश से आने वाले विद्वानों ने ज्ञान का प्रकाश और कलाकारों ने अपनी कला का जलवा बिखेर कर समारोह को ऐतिहासिक और यादगार बनाया है।
रामायण मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया और मंत्री करुणा शंकर द्विवेदी का कहना है कि चित्रकूट भगवान श्रीराम की तपोस्थली है।
केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राष्ट्रीय रामायण मेले में आने से निश्चित रूप से रामायण मेले के विकास का मार्ग और तेजी से प्रशस्त होगा। रामायण मेले को सरकार प्रांतीय मेला का स्वरूप पिछले वर्षों दे चुकी है, अब रामायण मेले का अंतर्राष्टीय स्वरूप देने में मदद मिलेगी।