आगरा। नए सड़क कानून के विरोध में देश भर चालकों ने चक्का जाम कर दिया है। शनिवार से ही यातायात काफी प्रभावित है। यात्री बसों का इंतजार करते हुए जगह जगह मायूस खड़े हैं। इसके अलावा ट्रकों के संचालन न होने पर व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। केंद्र सरकार की ओर से लागू इस नए हिट एंड रन कानून को चालक स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उनका यू का कहना है। गाड़ी चलाते समय वो नहीं चाहते की गाड़ी से कोई बिल्ली भी टकराकर मरे दुर्घटना को केवल दुर्घटना समझा जाएं जानबूझ कर कोई भी चालक किसी की जान नहीं लेता। ये नया कानून गलत है।
ये है ड्राइवरों की मांग
ड्राइवरों की मांग है कि जब तक सरकार हिट एंड रन पर नए कानून को वापस नहीं लेती तब तक बस और ट्रक नहीं चलाएंगे। तमाम राज्यों में चालकों ने बस और ट्रक चलाने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार के नए परिवहन नियमों का ट्रांसपोर्ट कारोबारियों ने भी विरोध किया है। ऑल इंडिया ट्रक चालक संगठन ने एक जनवरी को हड़ताल का आह्वान किया था।
क्या है नया हिट एंड रन कानून जानिए
दरअसल हिट एंड रन कानून को नई बनी भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 104 में समाहित किया गया है। इसके अनुसार यदि गलत ड्राइविंग या फिर लापरवाही के चलते यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो फिर वाहन चालक को अधिकतम 7 वर्ष की सजा होगी और जुर्माना भी लगेगा। सेक्शन 104 (A) में इसका जिक्र किया गया है
ये है नया संशोधित कानून और चालकों के इस पर विचार
नए परिवहन कानून में ये है ड्राइवरों के लिए प्रावधान
नए परिवहन कानून के तहत दुर्घटना होने पर यदि ट्रक चालक मौके से भाग जाता है तो उसे 10 साल की सजा व 5 लाख रुपए जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान लागू किया गया है। वाहन चालकों की मानें तो कोई वाहन चालक जानबूझ दुर्घटना नहीं करना चाहता। यदि दुर्घटना हो जाती है तो बड़े वाहन चालक का कसूर बताया जाता है। चालकों से दुर्घटना हो जाती है और वह मौके पर मौजूद रहता है तो भीड़ उसके साथ मारपीट करती है। उनके साथ हिंसक घटना का डर बना रहता है। भीड़ के रौद्र रूप से बचने के लिए मजबूरीवश चालकों को अपना गाड़ी व सामान छोडकऱ मौके से भागना पड़ता है।
ये था पुराना सड़क कानून
पहले क्या था कानून और अब संशोधन क्या होगा?
हिट एंड रन मामले को आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), 304A (लापरवाही के कारण मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है। विशेष केस में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ दी जाती है।
UPपरिवहन आयुक्त ने सभी कमिश्नर डीएम को दिए निर्देश
नए सड़क कानून के विरोध के बाद परिवहन आयुक्त के निर्देश
दिए हैं की वो कर्मचारी यूनियन के साथ बैठक कर हड़ताल को खत्म कराने का कार्य करें परिवहन आय़ुक्त ने दिए निर्देश
30 जनवरी 2024 तक यूनियन ने हड़ताल का किया है। इस लिए उनसे वार्ता कर इसका निबटारा करें।