उत्तर प्रदेश

मेडिकल कालेज के प्राचार्य को क्यों बनाया जा रहा साजिश का शिकार ?


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। मेडिकल कालेज में प्रसूता की मौत का मामला राजनीतिक तूल देकर ब्लैक मेलिंग की ओर कदम बढ़ता सा दिख रहा है? “कालेज के प्राचार्य सुनील कौशिक को पीड़ित पक्ष नें साजिशन क्यों मुकदमे में नाम शामिल कराया, यह गंभीर चिंतन एवं मनन का विषय है? क्योंकि सीधे तौर पर तो प्राचार्य को इस मामले में फंसाना कोई अन्य “कहानी भारी साजिश का फ़साना सा लगता है”?।


हम आपको इस मामले की पुरानी कहानी की ओर ले चल रहे हैं।कोतवाली क्षेत्र के अनथुवा गांव निवासी रामसेवक नें अपनी पत्नी को तीन नवंबर को प्रसव के लिये रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज में भर्ती कराया था। उस दिन छह बजे आपरेशन से उसने बच्चे को जन्म दिया। सात नवंबर को उसको डिस्चार्ज होना था लेकिन उसके सीने में दर्द के चलते महिला वार्ड से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हुई। आठ नवंबर को सुबह बेड से गायब थी।बाद में उसका शव झाड़ियों में मिला था। ऊपरी मंजिल से गिरने से मौत महसूस हुई ! शरीर की हड्डियां टूट गई थीं।


मामला काफी चर्चित हुआ। लेकिन यह रहस्य बना रहा की मरीज के तीमारदार आखिर कहां चले गये थे की उनकी महिला गायब हो गई। जांच के दौरान मृतक महिला सीसीटीवी कैमरे में मेडिकल कालेज गेट से बाहर निकलती भी दिखाई दी है। इस प्रकरण की कई बिंदुओं पर जांच हुई। इसमें मेडिकल कालेज के कुछ कर्मियों पर ड्यूटी में लापरवाही पर कार्यवाई भी हुई। हालांकि मृतिका के परिजनों की तहरीर के आधार पर जो पुलिस में रिपोर्ट दर्ज हुई थीं उसमें मेडिकल कालेज के प्राचार्य का सुनील कौशिक का भी नाम लिखवाना किसी साजिश का ही हिस्सा माना गया था?


जिलाधिकारी नें भी प्रशानिक अधिकारियों की टीम गठित कर जांच कराई थी, उसमें प्राचार्य को क्लीन चिट दी गई थीं। अब परिवार के लोग एक लाख का मुवावजा एवं एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग कर रहे है। पूरे प्रकरण को राजनीति तूल देने की साजिश की जा रही है? “पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल का कहना है की महिला के परिजनों की तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जहां तक गंभीर धाराओं की बात है तो विवेचना में सही औऱ गलत स्पष्ट” हो जायेगा।