संवाद/विनोद मिश्रा
बांदा। बुंदेलखंड में पैदा होने वाला लाल कठिया गेहूं अब ज्यादा पौष्टिक और सेहतमंद होगा। साथ ही इसकी अच्छी पैदावार से किसान मालामाल होंगे। कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने बुंदेलखंड के लाल कठिया गेहूं को लेकर शोध शुरू किया है। इसमें सीरिया और भारतीय लाल कठिया गेहूं की क्रॉस ब्रीडिंग कराई गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस शोध के बेहतर परिणाम सामने आएंगे। इसके बाद बुंदेलखंड में लाल कठिया गेहूं के उत्पादन में इजाफा होगा।
लाल कठिया गेहूं मधुमेह, हृदय रोगियों और बच्चों की सेहत के लिए मुफीद माना जाता है।
बुंदेलखंड के बांदा , चित्रकूट ,महोबा ,हमीरपुर ,झांसी और ललितपुर समेत कई जिलों में इसका उत्पादन होता है। लाल कठिया गेहूं को ज्यादा पौष्टिक बनाने और पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने शोध शुरू किया है। विवि ने सीरिया के संगठन इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर इन द ड्राई एरिया (इकार्डा) से सीरियाई प्रजाति के लाल कठिया गेहूं का जर्म प्लाज्मा लेकर उसे कृषि विश्वविद्यालय के कृषि फार्म में देसी प्रजाति के लाल कठिया गेहूं से क्रॉस कराया है। इसे कृषि वैज्ञानिक बुंदेलखंड की जलवायु के अनुसार विकसित कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि लाल कठिया गेहूं को ज्यादा पौष्टिक बनाने और उत्पादन के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। जल्द इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे।