संवाद -मोहम्मद नज़ीर क़ादरी
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स के मौके पर देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में मलंग अजमेर पहुंचे
गरीब नवाज के चिल्ले से हजारों मलंग हाथों में परचम लेकर दरगाह के लिए जुलूस के रूप में रवाना हुए.
मलंग व क़लन्दर के जुलूस का शहर के लोगों ने फूलों की वर्षा कर स्वागत किया
अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स के मौके पर दरगाह में परचम लाने की परंपरा है. इसी को पूरा करने के लिए सैंकड़ों मलंग कई किलोमीटर चलकर अजमेर पहुंचे. शुक्रवार को मलंगों ने परचम लेकर जुलूस निकाला और हैरतअंगेज करतब दिखाए.
अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812 वें उर्स के मौके पर देश के कोने-कोने से
हजारों की संख्या में मलंग अजमेर पहुंचे। कहा जाता है कि ख्वाजा गरीब नवाज के खलीफा ( शिष्य ) कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने दरगाह में परचम लाने की परंपरा शुरू की थी. यह मलंग आज भी उस परंपरा को निभा रहे हैं. शुक्रवार को सैंकड़ों मलंग ने छड़ी का जुलूस निकालकर ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति अपनी आस्था प्रकट की.।
ऋषि घाटी स्थित ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से हजारों मलंग हाथों में परचम लेकर दरगाह के लिए जुलूस के रूप में रवाना हुए. मार्ग में कई जगह पर शहर के लोगों ने मलंगों का फूलों की वर्षा कर इस्तकबाल किया. इस दौरान मलंगों ने अपने हैरतअंगेज करतब भी दिखाए. किसी मलंग ने तीखे सरिए को अपनी आंखों में डाला तो किसी ने अपने शरीर को सरियों से छेद दिया. गंज से देहली गेट, दरगाह बाजार होते हुए मलंगों का जुलूस दरगाह के निजाम गेट पहुंचा. अपने साथ महरौली से छड़ी लेकर आए मलंगों ने दरगाह में छड़ी पेश कर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में हाजरी लगाई.।