जीवन शैली

लोग नमाज़ क्यों नहीं पढ़ते। मुहम्मद इक़बाल

आगरा | मस्जिद नहर वाली सिकंदरा के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज जुमा के सम्बोधन में इस्लाम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ‛नमाज़’ के बारे में बात की। उन्होंने कहा लोग नमाज़ क्यों नहीं पढ़ते ? क़ुरआन ने इस के बारे में जो बताया है वो मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ। सूरह अल-कियामह आयत नंबर 31 और 32 में अल्लाह तआला फ़रमाता है– “फिर ना तो उसने सच माना और ना नमाज़ पढ़ी। बल्कि झुठलाया और मुँह मोड़ा।” यानी आपको शक है कि नमाज़ पढ़ने का कोई फ़ायदा है भी या नहीं। यहां तक कि अज़ान की आवाज़ सुनने के बाद भी मुँह मोड़ कर चल देते हो। इस तरह आपने ‛झुठला दिया’। अल्लाह के बारे में लोग अभी तक शक में हैं कि अल्लाह है भी या नहीं और उसकी कितनी ताक़त है। अगर लोगों को अल्लाह के बारे में मालूम हो और वो उसको ‛सच’ मानें तो मुम्किन ही नहीं कि नमाज़ छोड़ दें। नमाज़ ना पढ़ने वाला एक तरह से अल्लाह का ‛इनकार’ कर रहा है। ये बहुत ही ख़तरनाक स्थिति है। आपको अपने बॉस का पता होता है और उसकी ताक़त का अंदाज़ा भी होता है। आप सर झुका कर सारे आर्डर फ़ॉलो करते हो। आप जानते हो कि अगर मैंने ना-फ़रमानी की तो मुझे अपनी नौकरी से हाथ धोने पड़ जाएंगे। इसलिए आप छोटे से छोटा हुक्म भी मानते हैं। लेकिन इस कायनात के रब के बारे में आप इतने ग़लतफ़हमी में हैं कि आपको उसकी परवाह है ही नहीं। खुले तौर पर उसकी ना-फ़रमानी कर रहे हैं। क्योंकि हमें ना तो अल्लाह के होने का यक़ीन है और ना उस की ‛ताक़त’ का अंदाज़ा है। जो लोग भी नमाज़ को छोड़ते हैं क्या वो इस तरफ़ ध्यान देंगे ? वो बहुत बड़े नुक़्सान की तरफ़ जा रहे हैं कौन अल्लाह का बंदा है जो आज इस मस्जिद में अल्लाह के होने का यक़ीन करले और मरते दम तक नमाज़ ना छोड़ने का आज मस्जिद से बाहर निकलने से पहले पक्का वादा करले ? वर्ना एक नाक़ाबिले बरदाशत अंजाम के लिए तैयार रहे। क्या कोई अब भी नमाज़ छोड़ सकता है ? अब फ़ैसला हमारे हाथ में है अपना नाम अल्लाह को मानने वाली लिस्ट में रखना है या इनकार वाली लिस्ट में ? अल्लाह हमें मरते दम तक नमाज़ पढ़ने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।