संवाद – सादिक जलाल (8800785167 )
गुरुग्रामः मेदांता ग्रुप की इकाई मेदांता फाउंडेशन ने हैल्थकेयर एवं समाज में सुधार लाने के लिए सवेरा नामक अभियान शुरू किया है। इस पहल में ‘टैक्टाईल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन’ (टी.बी.ई.) से स्तन कैंसर की जाँच मैं मदद मिलेगी । मेदांता गुरुग्राम की डॉ. कंचन कौर (सीनियर डायरेक्टर, ब्रेस्ट सर्विसेज, कैंसर इंस्टीट्यूट) द्वारा शुरू की गई टी.बी.ई. स्तन कैंसर की जाँच के लिए एक अभिनव प्रणाली है, जिसमें दृष्टिबाधित महिलाओं की अत्यधिक विकसित स्पर्श इंद्रियों की मदद से स्तन में होने वाली छोटी से छोटी विकृति को भी भांप लिया जाता है।
प्रोग्राम का मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उद्घाटन किया। इस प्रोग्राम का नाम सवेरा रखा गया है। जर्मनी के बाद गुरुग्राम भारत का एक ऐसा शहर होगा जहां इस तरह के केंद्र को संचालित किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम की सफलता के उपरांत इसे राज्य के अन्य जिलों में भी विस्तारित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कैंसर एक ऐसा रोग है जिसकी पहचान देर से होती है। ज्यादातर मामलों में पीड़िता को तीसरे और चौथे स्टेज में जाकर कैंसर की पहचान की होती है।तब तक काफी देर हो जाती है।
इससे पहले अजय मल्होत्रा, स्तन कैंसर विशेषज्ञ डा. कंचन कौर, डा. नेहा सूरी इत्यादि ने भी सवेरा कार्यक्रम के बारे में जानकारी सांझा की और कार्यक्रम के संबंध में एक प्रस्तुति भी दी। मेदांता के ग्रुप सीईओ एवं डायरेक्टर पंकज साहनी ने कहा कि स्तन कैंसर के अधिकतर मामले विकसित चरण में सामने आते है। इसकी बढ़ती संख्या के कारण समय पर पहचान, निदान और इलाज अत्यधिक आवश्यक है। सवेरा अभियान इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इस मौके पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आलोक मित्तल, पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा सहित जिला प्रशासन और मेदांता संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी और पदाधिकारी के साथ साथ मेडिकल वर्ल्ड के दिग्गज भी उपस्थित थे।
सिविल सर्जन डा. विरेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत एक नई अलख जगाने का काम किया है। मुख्यमंत्री ने चिरायु-निरोगी योजना राज्य में लागू की है। उन्होंने बताया कि सवेरा कार्यक्रम के तहत छह नेत्रहीन बहनें इस कार्यक्रम में सहयोग करेंगी।
इस अभियान के बारे में डॉ. कौर ने कहा, ‘‘वर्तमान में मेडिकल टैक्टाईल एग्ज़ामिनर (एम.टी.ई.) के रूप में नियुक्त की गई 4 महिलाओं में से 3 सरकारी मेडिकल संस्थान में बैठेंगी। आने वाले समय में इन एग्ज़ामिनर्स की संख्या बढ़ाकर उन्हें और ज्यादा जिलों तक पहुँचाया जाएगा। टी.बी.ई न केवल उन महिलाओं का किया जाएगा जो कैंसर का परीक्षण कराने के लिए आएंगी, बल्कि उन महिलाओं का भी किया जाएगा जो यहाँ अन्य परामर्श लेने के लिए आएंगी। परीक्षण के प्रति इस सक्रिय दृष्टिकोण द्वारा स्तन कैंसर की तुरंत पहचान और समय पर निदान संभव हो सकेगा । यहाँ यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि यदि स्तन कैंसर की पहचान समय पर हो जाए, तो उसका इलाज सफल होने की संभावना 95 प्रतिशत होती है । इसलिए स्तन कैंसर की पहचान सक्रियता से समय पर करना बहुत जरूरी है।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘टी.बी.ई. स्तन कैंसर की समय पर पहचान करने के लिए बहुत अच्छा उपाय है। हमने इस अभियान का नाम सवेरा रखा है क्योंकि हम इसे महिलाओं में स्तन कैंसर के प्रति जागृति का प्रतीक बनाना चाहते है।”
मेदांता के ग्रुप सी.ई.ओ एवं डायरेक्टर, श्री पंकज साहनी ने कहा, ‘‘स्तन कैंसर के अधिकतर मामले विकसित चरण में सामने आते है। इसकी बढ़ती संख्या के कारण समय पर पहचान, निदान और इलाज अत्यधिक आवश्यक है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने मरीजों को खुद के स्वास्थ्य की देखभाल करने में समर्थ बनाएं। इसके लिए हम मेदांता में निरंतर नए तरीके अपनाते हैं। सवेरा अभियान इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
भारत में छह साल पहले टी.बी.ई. पद्धति शुरू होने के बाद दृष्टिबाधित महिलाओं को एन.ए.बी. इंडिया सेंटर फॉर ब्लाइंड वीमेन एंड डिसेबिलिटी स्टडीज़ में स्तन रोगों और उनके परीक्षण का सैद्धांतिक प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद उन्हें मेदांता गुरुग्राम के ब्रेस्ट क्लिनिक में डॉ. कंचन कौर के मार्गदर्शन में तीन महीने तक क्लिनिकल इंटर्नशिप प्रदान की गई।